Last Updated: Friday, July 27, 2012, 19:19

देहरादून : पितृत्व मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के अपने खिलाफ फैसले से वस्तुत: शर्मिंदगी महसूस कर रहे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने शुक्रवार को यह कहते हुए मीडिया का सामना करने से इनकार कर दिया कि इसे मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए लेकिन साथ ही इस बात पर जोर दिया कि उनके मन में रोहित शेखर के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है।
दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से यह कहे जाने के कुछ घंटे बाद कि डीएनए रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि होती है कि तिवारी दिल्ली निवासी 32 वर्षीय युवक रोहित शेखर के जैविक पिता हैं, तिवारी ने यहां जारी एक बयान में कहा कि यह मेरा निजी मामला है, इसे तूल ना दें।
तिवारी ने हालांकि मीडिया का सामना करने से इनकार कर दिया और उनके निजी सचिव भवानी दत्त भट्ट ने पत्रकारों को उनके आवास के बाहर उनके बयान की प्रतियां वितरित कर दीं। 87 वर्षीय वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि वह अपने दिल और आत्मा से कभी कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि मेरी सादगी के चलते मेरी उम्र के इस पड़ाव में मेरे विश्वसनीय लोगों ने मेरे खिलाफ सुनियोजित तरीके से षड्यंत्र रचा। मेरे मन में मुझे उनके खिलाफ कोई शिकवा नहीं है। रोहित शेखर के साथ मेरी पूरी सहानुभूति है। मेरे मन में रोहित शेखर के खिलाफ कोई दुर्भावना नहीं है। तिवारी ने कहा कि उन्होंने न्यायपालिका में हमेशा विश्वास जताया है और वह अदालत के फैसलों का हमेशा ही सम्मान करेंगे।
उन्होंने कहा कि वह यह स्पष्ट करना चाहते थे कि यह दो पक्षों के बीच अहंकार और व्यक्तिगत हित की लड़ाई थी। उन्होंने कहा कि ऐसा मुफ्त प्रचार पाने के लिए किया जा रहा था। तिवारी ने स्वयं को महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरु और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का अनुयायी बताते हुए कहा कि उन्हें अपनी तरह से रहने का अधिकार है जो अभी भी उन्हें प्राप्त है।
उन्होंने कहा कि किसी की निजता में हस्तक्षेप करना उचित नहीं है। उन्होंने साथ ही मीडिया को बताया कि उन्हें अपने तरह से जीने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि इस घटना को मुद्दा नहीं बनाइए। कृपया विकास के कार्य में मेरा सहयोग करिये। हमें कई कार्य करने हैं और हमें भावी पीढ़ी की बेहतरी के लिए आधारशिला रखनी है। (एजेंसी)
First Published: Friday, July 27, 2012, 19:19