Last Updated: Monday, December 5, 2011, 09:08
भोपाल: पूर्व हाकी ओलंपियन एवं लोकसभा के पूर्व सदस्य असलम शेरखान ने यूपीए एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर भोपाल गैस त्रासदी के लिए दोषी डाउ कैमिकल्स को लंदन ओलंपिक 2012 के प्रायोजकों में शामिल किए जाने का विरोध दर्ज कराने का आग्रह किया है।
असलम ने सोमवार को भोपाल में संवाददाताओं से बातचीत में सोनिया को लिखे पत्र का हवाला देते हुए कहा कि यह वही डाउ कैमिकल्स कंपनी है, जिसने भोपाल गैस हादसे के लिए दोषी यूनियन कारबाइड का अधिग्रहण किया है और यह इस हादसे का दाग धोने के लिए लंदन ओलंपिक 2012 का प्रायोजक बनना चाहती है। इसके लिए उसे लंदन ओलंपिक के मुख्य स्टेडियम के अंदर और बाहर विज्ञापन का अधिकार दिया जा रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे पत्र में उन्होने उनसे एवं कांग्रेस कार्यसमिति से आग्रह किया है कि ऐसे में जब इंग्लैंड संसद हाउस आफ कामन्स के 24 सदस्य, डाउ एवं एलओसीओजी के बीच सौदा रद्द करने के लिए अभियान चला रहे हैं, तब उन्हें भी भारतीय ओलंपिक संघ से कहना चाहिए कि ओलंपिक खेलों की लंदन आयोजन समिति से आधिकारिक रूप से वह अपना विरोध दर्ज कराए।असलम ने कहा कि ओलंपिक खेल केवल खेलों का मसला नहीं है, क्योंकि इससे पूरा विश्व जुड़ा होता है। उन्होने कहा कि यह हमारे लिए शर्मनाक होगा, जब हम एलओसीओजी से भोपाल गैस हादसे के लिए दोषी डाउ कैमिकल्स को प्रायोजक बनाए जाने के विरोध में आवाज बुलंद नहीं करें।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होने कहा कि मुआवजे के लिए यदि भारत सरकार बीच में नहीं होती, तो हादसे के प्रभावित पांच लाख लोग सीधे अमेरिका से लड़ाई करते और अधिक मुआवजा हासिल करते। उन्होने कहा कि दिसंबर 1984 में हुए हादसे के बाद कांग्रेस के तीन मुख्यमंत्री अजरुन सिंह, मोतीलाल वोरा एवं दिग्विजय सिंह तथा भाजपा के चार मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा, उमा भारती, बाबूलाल गौर एवं शिवराज सिंह चौहान ने सरकार चलाई, लेकिन किसी ने गैस पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कुछ नहीं किया।
हाकी के पूर्व ओलंपियन ने कहा कि गैस हादसे की 27वीं बरसी के दिन गत तीन दिसंबर को भोपाल में जो भी हिंसा हुई, उसने साबित कर दिया है कि प्रभावितों के जख्म आज भी हरे हैं और उनसे हो रहे अन्याय को लेकर गहरी नाराजी है। यह पहली बार है, जब पुलिस को भोपाल के आंदोलनकारियों पर गोलियां और आंसू गैस का प्रयोग करना पड़ा है।
उन्होने कहा कि यह दुर्भाग्यजनक है कि सभी राजनीतिक पार्टियों ने गैस के मुद्दे को सीधे तौर पर तिलांजलि दी दी है और इसे गैर सरकारी संगठनों के भरोसे छोड़ दिया है, लेकिन अब वह इसे राजनीतिक तौर पर सीधे उठाएंगे और गैस पीड़ितों को जगाने के लिए इसी माह से नुक्कड़ आम सभाओं का दौर शुरू करेंगे। इसे अकेले गैस पीड़ितों का नहीं बल्कि समूचे भोपाल का मुद्दा बनाना होगा, लेकिन वह शहर के शेष बीस वार्डो को भी गैस प्रभावित घोषित करने की मांग का विरोध करते हैं।
(एजेंसी )
First Published: Monday, December 5, 2011, 14:40