Last Updated: Monday, August 20, 2012, 18:12
नई दिल्ली : रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की 37 साल पहले बम विस्फोट में हत्या के मामले में अंतिम दलीलों पर नियमित आधार पर दिल्ली की एक अदालत में 27 अगस्त से सुनवाई शुरू होगी। उच्चतम न्यायालय ने 17 अगस्त को कहा था कि सुनवाई में अत्याधिक देरी होने के आधार पर मुकदमा रद्द नहीं किया जा सकता। इसके बाद अंतिम अदालत ने इस मुकदमे की अंतिम दलीलों पर सुनवाई शुरू करने की तारीख तय की।
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश विनोद गोयल ने अपने आदेश में कहा, दिन प्रतिदिन के आधार पर अंतिम दलीलों पर सुनवाई के लिए 27 अगस्त, 2012 की तारीख तय की जाती है। आरोपी संतोषानंद अवधूत के वकील और हाल ही में अदालत द्वारा न्यायमित्र नियुक्त किये गये अश्वनी कुमार बाली ने कहा कि उन्हें फाइल के अध्ययन के लिए समय चाहिए। इसके बाद न्यायाधीश ने फैसला लिया।
अदालत ने कहा, विशेष सरकारी अभियोजक द्वारा पेश दलीलों के दौरान वकील नोट्स बना सकते हैं और इस बीच वह फाइल का अध्ययन कर सकते हैं और दस्तावेजों की पड़ताल कर सकते हैं। ललित नारायण मिश्र की मृत्यु तीन जनवरी, 1975 को बिहार के समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर एक समारोह में बम विस्फोट में हो गयी थी। इस मामले में वकील रंजन द्विवेदी को आनंद मार्ग के चार सदस्यों के साथ आरोपी बनाया गया था। रंजन द्विवेदी उस समय सिर्फ 24 साल के थे। द्विवेदी के अलावा मामले में तीन अन्य आरोपी संतोषानंद अवधूत, सुदेवानंद अवधूत और गोपालजी थे।
आरोपी ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर अनुरोध किया था कि उसके खिलाफ हत्या के मामले में चल रहा मुकदमा रद्द किया जाये। शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि मुकदमे की कार्यवाही को महज इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता कि पिछले 37 साल में उसे पूरा नहीं किया जा सका। इस मामले में एक नवंबर, 1977 को पटना की सीबीआई अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया गया था। लेकिन 1979 में तत्कालीन अटार्नी जनरल ने शीर्ष अदालत से इस मुकदमे को दिल्ली स्थानांतरित करने का अनुरोध किया। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने यह मामला दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था। मिश्र हत्याकांड में जिन लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया था वे सभी दिल्ली में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश ए एन रे की हत्या की कोशिश के मामले में भी आरोपी थे।
न्यायमूर्ति रे से जुड़े मामले में संतोषानंद अवधूत और सुदेवानंद अवधूत को विक्रम नामक शख्स के इकबालिया बयान के आधार पर आरोपी बनाया गया था। विक्रम सीबीआई के लिए सरकारी गवाह बन गया था। न्यायमूर्ति रे से संबंधित मामले में अदालत ने संतोषानंद और सुदेवानंद को दस 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी जबकि रंजन द्विवेदी को चार साल की कड़ी कैद की सजा सुनाई हुयी थी। दोषियों ने इस आधार पर अपने खिलाफ फैसले को चुनौती दी थी कि विक्रम अपने बयान से पलट गया था। (एजेंसी)
First Published: Monday, August 20, 2012, 18:12