Last Updated: Wednesday, August 10, 2011, 07:42
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2000 में लाल किले पर हुए हमले के मामले में बुधवार को लश्कर आतंकी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की मौत की सजा की पुष्टि कर दी. देश की शान लाल किले पर हुए हमले में सेना के दो जवानों सहित तीन लोग मारे गए थे. न्यायमूर्ति वीएस सिरपुकर और न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने अशफाक की अपील को खारिज कर दिया जिसमें उसने मौत की सजा को चुनौती दी थी.
वर्ष 2000 में 22 दिसंबर को हुए इस हमले में सत्र अदालत ने अशफाक को मृत्युदंड सुनाया था और दिल्ली उच्च न्यायालय ने इसे बरकरार रखा था. लश्कर आतंकवादी ने इसके खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील की जिसे आज खारिज कर दिया गया और उसकी मौत की सजा की पुष्टि कर दी गई. उच्चतम न्यायालय ने अशफाक की अपील पर 20 अप्रैल 2011 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
अशफाक ने 13 सितंबर 2007 के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने उसकी मौत की सजा बरकरार रखी थी लेकिन छह अन्य को बरी कर दिया गया था जिन्हें निचली अदालत ने अलग-अलग अवधि की कैद की सजा सुनाई थी. उच्च न्यायालय ने देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और लाल किले में सेना के दो जवानों सहित तीन लोगों को मार देने के मामले में मौत की सजा के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर अशफाक की अपील को खारिज कर दिया था.
First Published: Wednesday, August 10, 2011, 13:12