Last Updated: Tuesday, July 31, 2012, 20:14

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि राज्य में लॉटरी का कारोबार लाटरी नियमन कानून के प्रावधानों के अनुरूप ही संपन्न हो। इस मसले को लेकर दायर याचिका में दावा किया गया था कि लाटरी से लाखों परिवारों की जिंदगी बर्बाद हो रही है।
न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार और न्यायमूर्ति इब्राहिम कलीफुल्लाह की खंडपीठ ने आज केन्द्र सरकार के वकील वसीम अहमद कादरी का यह बयान दर्ज किया कि सभी राज्यों के लिए इस कानून पर अमल के बारे में एक अप्रैल, 2010 को अधिसूचना जारी की जा चुकी है।
केन्द्र ने न्यायालय को सूचित किया कि इस कानून की धारा चार में प्रदत्त चुनिन्दा शर्तो के साथ राज्य लाटरी का आयोजन कर सकते हैं। सरकार ने बताया कि राज्यों के लिए अधिसूचित की गई शर्तों के अनुसार लाटरी के ईनाम की राशि पहले से घोषित नंबर या एकल नंबर पर आधारित नहीं होगी। लाटरी टिकटों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार टिकटों का इस तरह से मुद्रण करेगी ताकि उस पर राज्य का लोगो भी मुद्रित रहे। इसी तरह लाटरी के टिकटों की बिक्री राज्य सरकार खुद करेगी या अपने वितरकों और बिक्री एजेन्टों के जरिये ही इन्हें बेचेगी।
अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि लाटरी के टिकटों की बिक्री की रकम राज्य सरकार के लोक खाते में जमा की जायेगी। लाटरी के ड्रा का आयोजन राज्य सरकार खुद करेगी और विजेता द्वारा एक निश्चित समय के भीतर ईनाम की राशि पर दावा नहीं करने की स्थिति में यह सरकार की संपत्ति हो जाएगी। इसी तरह लाटरी के ड्रा का स्थान संबंधित राज्य की सीमा के भीतर ही होगा। अधिसूचना में यह भी प्रावधान है कि किसी भी लाटरी का सप्ताह में एक से अधिक ड्रा नहीं होगा। इन लाटरी का ड्रा राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दिनों के भीतर ही किया जाएगा। किसी भी लाटरी के बंपर ड्रा साल में छह से अधिक नहीं होंगे। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 31, 2012, 20:14