Last Updated: Tuesday, November 15, 2011, 08:19
नई दिल्ली : टीम अन्ना ने प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में ग्रुप-बी के अफसरों को भी शामिल करने तथा एक ही विधेयक के जरिए केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन करने के संबंध में संसद की स्थायी समिति में बनी सहमति का स्वागत किया। लोकपाल विधेयक पर गौर कर रही संसद की कार्मिक और विधि तथा न्याय मामलों की स्थायी समिति की सोमवार को यहां बैठक हुई थी।
इस बारे में टीम अन्ना के ‘इंडिया अगेन्स्ट करप्शन’ की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘हमने अखबारों में आई कुछ खबरें देखी हैं जिनमें कहा गया है कि लोकपाल विधेयक पर गौर कर रही स्थायी समिति ने कुछ फैसले किए हैं। हम एक ही विधेयक के जरिए राज्यों में भी लोकायुक्त का गठन करने के सुझाव संबंधी स्थायी समिति के फैसले का स्वागत करते हैं। हम प्रस्तावित विधेयक के दायरे में ग्रुप-बी के अफसरों को शामिल करने के फैसले का भी स्वागत करते हैं।’
ग्रुप-ए के दायरे में आने वाले केंद्र सरकार के अफसरों की अनुमानित संख्या 85,000 है। माना जाता है कि ग्रुप-बी के तहत आने वाले अफसरों की तादाद 1.7 लाख के करीब है। वक्तव्य में कहा गया, ‘बहरहाल, हम स्थायी समिति से अपील करते हैं कि वह विधेयक के दायरे से ग्रुप-सी और ग्रुप-डी के अफसरों को बाहर रखने के फैसले (सुझाव) पर पुनर्विचार करे। जिस गरीब आदमी का राशन गायब हो जाता है, वह कहां जाएगा? हर वर्ष 30,000 करोड़ रुपए मूल्य का राशन गरीबों तक नहीं पहुंच पाता।’
वक्तव्य में आरोप लगाया गया, ‘ग्रुप-सी और ग्रुप-डी के अफसर ही इसमें संलिप्त होते हैं। मनी ऑर्डर देने के लिए डाकिया 10 फीसदी रिश्वत मांगता है। डाकिए के भ्रष्टाचार से पीड़ित व्यक्ति कहां जाएगा? अन्ना आम आदमी को परेशान करने वाले भ्रष्टाचार से चिंतित हैं।’
टीम अन्ना ने कहा, ‘न्यायाधीशों से संबंधित भ्रष्टाचार के मामलों को न्यायिक जवाबदेही विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है। न्यायाधीशों को लोकपाल विधेयक से भी बाहर रखने का प्रस्ताव है। ऐसा होता है तो हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत कहां की जाएगी?’
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 15, 2011, 13:49