Last Updated: Friday, December 16, 2011, 13:54
ज़ी न्यूज ब्यूरोनई दिल्ली : लोकपाल पर टीम अन्ना और सरकार के बीच छिड़ी जंग में अब आरक्षण के मुद्दे ने मोर्चा संभाल लिया है। लगातार दो दिनों तक लोजपा नेता रामविलास पासवान के नेतृत्व मे सौ से अधिक सांसदों ने संसद परिसर में लोकपाल में आरक्षण की मांग को लेकर धरना दिया था और बुधवार को सर्वदलीय बैठक में भी पासवान ने जोरदार तरीके से पक्ष रखा था।
लोकपाल बिल के मुद्दे पर अपने सहयोगी दलों का समर्थन पाने की कोशिश में सरकार एक बड़ा फैसला करने जा रही है। यह फैसला है लोकपाल पैनल में अनुसूचित जाति-जनजाति और ओबीसी के लिए आरक्षण का। बीएसपी, समाजवादी पार्टी, आरजेडी और लोक जनशक्ति पार्टी की यह एक मुख्य मांग थी। यूपीए की घटक दल एनसीपी लोकपाल भी एससी−एसटी के लिए आरक्षण का प्रावधान किए जाने के भी पक्ष में है। लोकपाल विधेयक को अगले सप्ताह संसद में पेश करने के लिए इसे अंतिम रूप देने के बीच सरकार का सर्वदलीय बैठक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ी जातियों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण के मिले सुझाव पर उदार रूख है। सूत्रों का कहना है कि इस विधेयक को अंतिम रूप दिया जा रहा है और इसके सोमवार को कैबिनेट बैठक में रखे जाने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि इसके बाद सरकार की 22 दिसंबर को सत्र के समापन से पहले यह विधेयक संसद में रखने की योजना है।
इस विधेयक की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इसे अंतिम रूप देने का काम वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, गृह मंत्री पी चिदंबरम, विधिमंत्री सलमान खुर्शीद और कार्मिक राज्य मंत्री वी नारायणसामी का अनौपचारिक समूह कर रहा है। इस विधेयक की जांच करने वाली संसदीय स्थायी समिति द्वारा दी गई सिफारिशों को इसमें जोड़ा जाएगा और सरकार ने आज यह साफ कर दिया कि उसका प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा बुधवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सामने आए विचारों पर रूख उदार है। इन विचारों में प्रधानमंत्री को कुछ शर्तों के साथ लोकपाल के दायरे में लाने और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने की बात भी शामिल है। सूत्रों ने कहा कि बुधवार की बैठक में भाजपा को छोड़कर लगभग सभी दलों ने आरक्षण की मांग की।
ग्रुप ‘सी’ कर्मचारियों को शामिल करने की मांग के संबंध में सूत्रों ने कहा कि इसके लिए ‘उचित तंत्र’ बनाने के लिए विचार विमर्श चल रहा है। इस संबंध में एक सुझाव उन्हें सीवीसी के दायरे में लाने का था जिसे भ्रष्टाचार निरोधक मामलों पर प्रगति की रिपोर्ट लोकपाल को करने के लिए कहा जाएगा। संसदीय समिति ने एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और महिलाओं को सर्च कमेटी में आरक्षण की सिफारिश की थी। यह कमेटी लोकपाल को चुनने के लिए चयन समिति की मदद करेगी। संसदीय समिति ने लोकपाल में आरक्षण पर चुप है। अगर लोकपाल में आरक्षण का प्रावधान होता है तो ऐसे प्रावधानों वाली यह पहली संवैधानिक संस्था होगी।
First Published: Saturday, December 17, 2011, 14:29