लोकसभा चुनाव में बसपा का समर्थन करेंगे बुखारी!

लोकसभा चुनाव में बसपा का समर्थन करेंगे बुखारी!

लोकसभा चुनाव में बसपा का समर्थन करेंगे बुखारी! नई दिल्ली : आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत बढ़ाने की के प्रयासों के तहत बहुजन समाज पार्टी समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ने वाले जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के साथ बातचीत कर रही है जिसका मकसद चुनाव में उनका समर्थन हासिल करना है।

बसपा और जामा मस्जिद ट्रस्ट से जुड़े विश्वस्थ सूत्रों की माने तो बुखारी के साथ बसपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं की बातचीत हुई है। आने वाले समय में बुखारी और बसपा सुप्रीमो मायावती के बीच सीधे तौर पर भी बातचीत संभव है।

इस बारे में पूछे जाने पर बुखारी ने कहा कि सिर्फ बसपा ही नहीं, कुछ और धर्मनिरपेक्ष दलों के लोगों ने हमसे बात की है। मैंने इटावा की रैली में मायावती के शासन की शैली की तारीफ की थी। इसके बाद से ही लोग मेरे और उनके नजदीक आने की अटकलें लगा रहे हैं। मैं बातचीत से इंकार नहीं कर रहा, लेकिन अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। उत्तर प्रदेश में मायावती ने साबित किया है कि वह बेहतरीन प्रशासक हैं।

उल्लेखनीय है कि बीते 21 अप्रैल को सपा मुखिया मुलायम सिंह के गृहनगर इटावा में बुखारी ने रैली की थी। इस रैली में उन्होंने सपा पर निशाना साधने के साथ बसपा और मायावती के कार्यशैली जमकर तारीफ की थी।

उधर, बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा के कुशासन से लोग एक साल में ही तंग आ गए। शाही इमाम को भी महसूस हुआ कि बसपा ही लोगों को बेहतर प्रशासन दे सकती है। उन्होंने जो कुछ कहा है कि हम उससे पूरी तरह सहमत हैं। उनके साथ किसी समझौते के बारे में कोई भी फैसला हमारी पार्टी प्रमुख करेंगी।

जामा मस्जिद ट्रस्ट से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बसपा के लोगों और बुखारी के बीच जो शुरुआती बातचीत हुई है, उसमें शाही इमाम की ओर से कुछ शर्तें रखी गई हैं। इन शर्तों में कुछ वह बातें भी शामिल हैं जो उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले सपा का समर्थन करने से पहले बुखारी ने मुलायम सिंह के समक्ष रखीं थीं। ट्रस्ट के एक पदाधिकारी ने बताया, ‘दो सबसे अहम मसले हैं। पहला बेकसूर नौजवानों की रिहाई और दूसरा मुसलमानों को आरक्षण। इनके अलावा हम बसपा से यह भरोसा भी चाहते हैं कि वह किसी भी सूरत में सांप्रदायिक दलों का समर्थन नहीं करेगी। हमारी ओर से कुछ बातें रखी गई हैं और अब उन पर बसपा के लोगों अमल करना है।’ इससे पहले 1990 के दशक में भी अहमद बुखारी और उनके वालिद अब्दुल्ला बुखारी ने बसपा का समर्थन किया था।

यह पूछे जाने पर कि सपा के साथ फिर से जाने की अब कोई गुंजाइश नहीं बची है, तो बुखारी ने कहा, ‘हमारे दरवाजे सभी धर्मनिरपेक्ष दलों के लिए खुले हैं। जो भी पार्टी मुसलमानों के मुद्दों पर संजीदगी से काम करने को तैयारी होगी, उसे समर्थन देने के बारे में सोचा जा सकता है। इतना जरूर है कि सपा ने उत्तर प्रदेश के मुसलमानों को पूरी तरह मायूस किया है।’ (एजेंसी)

First Published: Friday, May 10, 2013, 16:10

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