Last Updated: Monday, May 21, 2012, 03:29
ज़ी न्यूज ब्यूरो नई दिल्ली: काले धन पर बहुप्रतीक्षित श्वेत पत्र सरकार ने आज लोकसभा में पेश कर दिया। इसमें किसी के नाम का खुलासा नहीं किया गया है लेकिन काले धन की समस्या से निपटने के लिए लोकपाल और लोकायुक्त के गठन की मजबूत पैरवी की गयी है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा लोकसभा में पेश श्वेत पत्र में देश के भीतर और बाहर काले धन को लेकर सरकारी आकलन भी नहीं पेश किया गया है हालांकि इसमें अन्य एजेंसियों के आकलन जरूर दिये गये हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने विदेशों में पड़ा काला धन वापस लाने के लिए सरकार की रणनीतियों पर सोमवार को लोकसभा में श्वेत पत्र पेश किया, लेकिन इसमें धन का ब्यौरा नहीं है। पत्र में हालांकि लोकपाल और लोकायुक्त जैसी संस्थाओं के गठन पर जोर दिया गया है। श्वेत पत्र में धन का ब्यौरा न देने की वजह इसका कोई एक आंकड़ा और इसके बारे में पता लगाने के लिए कोई सर्वमान्य विधि का नहीं होना बताया गया है। पत्र में कहा गया है कि काले धन को लेकर कोई विश्वसनीय आंकड़ा नहीं है और न ही इसका पता लगाने के लिए कोई सर्वमान्य प्रविधि है। अब तक जो भी आकलन आएं हैं, सभी अलग-अलग तरह के हैं।
श्वेतपत्र में वित्तीय अपराध से तेजी से निपटने के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों का जिक्र है और अपराधियों को कडे दंड की बात कही गयी है। डेबिट और क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए श्वेत पत्र में कर रियायतों का प्रस्ताव किया गया है ताकि लेनदेन पर नजर रखी जा सके।
काले धन की समस्या से निपटने के लिए कर छूट स्कीम विशेषकर स्वर्ण जमा स्कीम की संभावना के बारे में श्वेत पत्र में कहा गया है कि पूर्ण रूप से कर छूट के मुद्दे पर अन्य नीतिगत उद्देश्यों के आलोक में समीक्षा की आवश्यकता है।
लगभग 100 पन्नों के इस दस्तावेज में इस धारणा को गलत साबित करने की कोशिश की गयी है कि सरकार काले धन की समस्या से निपटने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है। दस्तावेज में विभिन्न नीतिगत विकल्पों और रणनीतियों का जिक्र है, जो सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के मुददे के समाधान के लिए अपनायी जा रही हैं।
लोकपाल और लोकायुक्त जैसी संस्थाओं के बारे में श्वेत पत्र में कहा गया है कि इन संस्थाओं का जल्द से जल्द गठन होना चाहिए। केन्द्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त बनने चाहिए ताकि भ्रष्टाचार के मामलों की जांच तेजी से हो सके और दोष्ज्ञियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके।
सिविल सोसाइटी के दबाव के बावजूद सरकार राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पारित नहीं करा सकी हालांकि लोकसभा ने इसे पिछले सत्र में पारित कर दिया था।
काले धन की समस्या से निपटने के लिए श्वेतपत्र की प्रस्तावना में मुखर्जी ने कहा कि उनकी सरकार ने पांच विधेयक पेश किये, जो लोकपाल विधेयक, न्यायिक जवाबदेही विधेयक, व्हिसल ब्लोअर विधेयक, शिकायत निपटान विधेयक और सार्वजनिक खरीद विधेयक हैं। ये विधेयक संसद में विभिन्न स्तरों पर विचाराधीन हैं। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सूचना के आदान प्रदान के नेटवर्क का विस्तार करने से अवैध धन के सीमा पारीय प्रवाह पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। साथ ही कहा कि इन उपायों से समान, पारदर्शी और अधिक प्रभावशाली अर्थव्यवस्था का रास्ता तो तैयार होगा ही, हम इससे भी कहीं अधिक अपने समाज के नैतिक ताने बाने को मजबूत करने के लिए व्यक्तिगत तौर और सामूहिक रूप से कोशिश कर सकेंगे।
काले धन की उत्पत्ति को रोकने के लिए दस्तावेज में चार सूत्री रणनीति सुझायी गयी है। इनमें कर कानूनों के स्वैच्छिक अनुपालन के लिए अधिक रियायतें और अर्थव्यवस्था के संवेदनशील क्षेत्रों में सुधार शामिल हैं।
श्वेत पत्र में कहा गया है कि वित्तीय और रीयल इस्टेट क्षेत्र के सुधारों से दीर्घकाल में काले धन की उत्पत्ति को कम करने में मदद मिलेगी क्योंकि सोने के आयात को मुक्त करने से तस्करी को रोकने में मदद मिली है।
दस्तावेज में कहा गया कि वित्तीय नियमन को दुरूस्त करना काले धन की उत्पत्ति को रोकने के खिलाफ प्रतिरोधक तंत्र तैयार करने और लेनदेन में काले धन का पता लगाने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। रीयल इस्टेट क्षेत्र में काले धन के प्रवाह को रोकने के लिए श्वेत पत्र में सुझाया गया है कि सरकार को राष्ट्रव्यापी डाटाबेस तैयार करना चाहिए। संपत्तियों की बिक्री पर टीडीएस शुरू करना चाहिए और इलेक्ट्रानिक भुगतान प्रणाली लगानी चाहिए।
First Published: Tuesday, May 22, 2012, 10:05