लोकायुक्त पर गुजरात सरकार की अर्जी मंजूर - Zee News हिंदी

लोकायुक्त पर गुजरात सरकार की अर्जी मंजूर



नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की वह अपील विचारार्थ स्वीकार कर ली जिसमें राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति (रिटायर) आर ए मेहता को लोकायुक्त के पद पर एकतरफा नियुक्त किए जाने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति बी एस चौहान और न्यायमूर्ति जे एस खेहर की पीठ ने कहा कि वह इस मामले का विस्तार से अध्ययन करेगी क्योंकि इससे संवैधानिक कानून का अहम सवाल जुड़ा है।

 

पीठ ने कहा कि वह 20 फरवरी से तीन दिन तक मामले की सुनवाई करेगी। गुजरात हाईकोर्ट ने अपने आदेश में न्यायमूर्ति मेहता की लोकायुक्त के पद पर नियुक्ति को बरकरार रखा था। इसी आदेश को राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में यह कहते हुए चुनौती दी है कि यह नियुक्ति असंवैधानिक है और उसकी सहमति के बिना की गई है।

 

गुजरात हाईकोर्ट ने 18 जनवरी के अपने फैसले में न्यायमूर्ति मेहता की लोकायुक्त के पद पर नियुक्ति को बरकरार रखा था और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की उनके कदमों के लिए तीखी आलोचना की थी जिनकी वजह से मामूली संवैधानिक संकट उत्पन्न हुआ था।

 

19 जनवरी को दाखिल याचिका में राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले पर तथा राज्यपाल कमला बेनीवाल के 25 अगस्त 2011 के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी जिसके जरिये न्यायमूर्ति मेहता को लोकायुक्त के पद पर नियुक्त किए जाने संबंधी अधिकार पत्र जारी किया गया था।

 

मोदी न्यायमूर्ति जे आर वोरा को लोकायुक्त के पद पर नियुक्त करने पर जोर दे रहे थे लेकिन इसे गुजरात हाईकोर्ट  के मुख्य न्यायाधीश ने इस आधार पर स्वीकार नहीं किया कि उन्हें गुजरात राज्य न्यायिक अकादमी का निदेशक नियुक्त किया गया था। गुजरात के राज्यपाल ने पिछले साल 25 अगस्त को न्यायमूर्ति मेहता को लोकायुक्त के पद पर नियुक्त किया था। यह पद बीते आठ साल से रिक्त पड़ा था।

 

राज्य सरकार ने अगले ही दिन यह कहते हुए नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी कि राज्यपाल ने उसकी अनदेखी की है। मोदी का तर्क था कि राज्यपाल ने राज्य सरकार से मशवरा किए बिना लोकायुक्त की नियुक्ति कर दी जो असंवैधानिक है।

 

पिछले साल 11 अक्तूबर को हाईकोर्ट की एक पीठ ने नियुक्ति के मुद्दे पर खंडित फैसला दिया था। एक जज ने जहां राज्यपाल के फैसले को बरकरार रखा था वहीं दूसरे जज ने नियुक्ति के संबंध में राज्यपाल द्वारा जारी अधिकार पत्र को खारिज कर दिया था। इसके बाद मामला न्यायमूर्ति सहाय के पास भेजा गया था।

 

First Published: Saturday, February 4, 2012, 00:29

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