Last Updated: Sunday, July 14, 2013, 16:13
नई दिल्ली : देश में सख्त वक्फ कानून की पैरवी करने वाले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के भीतर ही वक्फ विधेयक के उस प्रावधान को लेकर मतभेद नजर आ रहा है जिसमें कुछ विशेष परिस्थितियों में वक्फ संपत्तियों को बेचने की इजाज़त दी गई है। दरअसल, वक्फ (संशोधन) विधेयक-2010 में इस तरह का प्रावधान है कि अगर किसी वक्फ संपत्ति का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है अथवा वह विवादित है तो उसे बेचकर कहीं बेहतर स्थान पर संपत्ति खरीदी जा
सकती है।
पर्सनल लॉ बोर्ड में इस प्रावधान को लेकर दो सुर नजर आ रहे हैं। बोर्ड का एक धड़ा इस प्रावधान का यह कहते हुए विरोध कर रहा है कि वक्फ संपत्तियों को बेचना जायज नहीं है और वक्फ संपत्तियों को बेचने की छूट से वक्फ का ही नुकसान होगा। दूसरी ओर समर्थक धड़े का यह कहना है कि इस पर बेवजह विवाद खड़ा किया जा रहा है।
प्रावधान का विरोध करने वाले पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना अहमद अली कासमी ने कहा, ‘सैद्धांतिक रूप से वक्फ की जायदाद को नहीं बेचा जा सकता। 75 फीसदी वक्फ संपत्तियों को पहले ही बेच दिया गया और अब इस तरह की छूट देने से शेष बची संपत्ति को भी बेच दिया जाएगा। अत: इस मामले पर पर्सनल लॉ बोर्ड के भीतर चर्चा होनी चाहिए।
वक्फ विधेयक में प्रावधान का विरोध करने वाले सदस्यों के समूह में अहमद अली कासमी के अलावा राज्यसभा सदस्य मोहम्मद अदीब और अताउर्रहमान कासमी शामिल हैं। जमीयत उलेमा-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी का सुर भी इसके विरोध में नजर आ रहा है, हालांकि उनका कहना कि वह पूरे मामले पर विस्तार से अध्ययन के करने के बाद खुलकर कुछ कह पाएंगे। अरशद मदनी ने कहा, इस पूरे मामले पर अध्ययन करने के बाद ही मैं कुछ कह पाउंगा। परंतु इतना जरूर कहूंगा कि बड़े पैमाने पर वक्फ जायदादों को पहले ही बेच दिया गया है और जो बची हैं उन्हें सुरक्षित रखना जरूरी है। अवैध कब्जों को हटाने पर अधिक जोर होना चाहिए। उधर, प्रावधान का समर्थन करने वाले पर्सनल लॉ बोर्ड के एक धड़े का
कहना है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। बोर्ड के सदस्य मुफ्ती एजाज अरशद कासमी ने कहा, इस प्रावधान में कड़ी शर्तें रखी गई हैं। अगर किसी वक्फ जायदाद का इस्तेमाल मुमकिन नहीं हो पा रहा है तो उसे बेचा जा सकता है। इस्लामी नजरिए से भी इसमें कुछ गलत नहीं है। बेवजह इस प्रावधान को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा है। इस मामले पर केंद्रीय वक्फ परिषद के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह अभी विधेयक है और संसद में पेश होने पर इसमें संशोधन संभव है। पर्सनल लॉ बोर्ड के लोगों को किसी बात को लेकर विरोध है तो वे इसे मंत्री (के रहमान खान) के समक्ष रख सकते हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, July 14, 2013, 16:13