Last Updated: Sunday, October 7, 2012, 20:27

नई दिल्ली : डीएलएफ के साथ संपत्ति सौदों को लेकर उन पर लगाए गए आरोपों को पूरी तरह गलत, आधारहीन और अवमाननापूर्ण करार देते हुए रॉबर्ट वाड्रा ने आज कहा कि उनके व्यापारिक लेन-देन कानून के तहत सक्षम सरकारी प्राधिकार के समक्ष दाखिल वित्तीय बयान में ‘स्पष्ट रूप से दर्ज’ हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद वाड्रा ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अरविन्द केजरीवाल और प्रशांत भूषण द्वारा उन पर लगाये गए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पलटवार किया और कहा कि अपने नवगठित राजनीतिक दल और ‘सस्ती लोकप्रियता’ हासिल करने के इरादे से केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने उनपर ये आरोप लगाए हैं।
केजरीवाल ने वाड्रा के स्पष्टीकरण को नकारते हुए कहा कि उन्होंने यह नहीं बताया है कि उनका संपत्ति का कारोबार करने वाली कंपनी डीएलएफ से उनका क्या संबंध है। उन्होंने इस बारे में डीएलएफ द्वारा दी गयी सफाई को भी ‘आधा सच और झूठ’ करार दिया। उनके और भूषण द्वारा सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए वाड्रा एवं उसके परिवार को बदनाम करने के आरोपों पर केजरीवाल ने कहा, ‘रॉबर्ट वाड्रा ने हमारे मकसद पर सवाल खड़ा किया है, वह महत्वपूर्ण नहीं है। उन्होंने उन सवालों का जवाब नहीं दिया जो हमने उठाए थे।’
केजरीवाल और भूषण ने दो दिन पूर्व आरोप लगाए थे कि 43 वर्षीय वाड्रा को सरकार से फायदा पाने की एवज में डीएलएफ ने वर्ष 2007 से 2010 के बीच 65 करोड़ रुपए का ब्याज मुक्त ऋण बिना किसी सुरक्षा गारंटी के दिया था। वाड्रा ने कहा कि वह केजरीवाल और भूषण द्वारा ‘सस्ती लोकप्रियता पाने’ के लिए उनके और उनके परिवार का नाम बदनाम करने के कारण दुखी हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा संवाददाता सम्मेलन में उनपर आरोप लगाए जाने के दो दिन बाद वाड्रा ने एक बयान जारी कर कहा, ‘मैं कानून का पालन करने वाला एक आम नागरिक हूं और पिछले 21 सालों से व्यापार में संलग्न हूं। केजरीवाल और भूषण द्वारा मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह गलत, पूर्णत: आधारहीन और अवमाननापूर्ण हैं।’
वाड्रा ने कहा कि वह ‘केजरीवाल एवं भूषण द्वारा में वित्तीय बयान की संख्याओं को जानबूझकर गलत तरीके से पेश करने तथा अपनी राजनीतिक पार्टी की शुरूआत के लिए तथा सस्ती लोकप्रियता पाने के मकसद से मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ झूठ गढ़ने के कारण दुखी’ हैं।
उन्होंने कहा, ‘मेरे व्यापारिक लेनदेन कानून के तहत सक्षम सरकारी प्राधिकार के दाखिल वित्तीय बयान में परिलक्षित होते हैं। सत्य जानने के इच्छुक व्यक्ति के लिए वे सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं।’ उनका यह बयान उनके संपत्ति सौदों को लेकर चल रहे विवादों पर उनके द्वारा चुप्पी तोड़ने के एक दिन बाद आया है।
उधर केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘डीएफएफ ने प्रतिक्रिया जारी की है। यह अर्धसत्यों और झूठ से भरपूर है। बहुत सारी सूचना दबा दी गई हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हम कल विस्तृत प्रतिक्रिया जारी करेंगे। लेकिन क्या वाड्रा डीएलएफ की प्रतिक्रिया पर टिके हुए हैं या उनका अलग पक्ष है।’ डीएलएफ ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है कि उसने वाड्रा को बिना ब्याज वाला ऋण फायदा पाने के लिहाज से दिया था। उसने कहा कि वाड्रा के साथ एक वैयक्तिक उद्यमी के तौर पर उसका पारदर्शी लेनदेन हुआ है।
कल जारी एक बयान में कंपनी ने कहा कि उसने 65 करोड़ रुपए ‘व्यापार अग्रिम’ के रूप में दिये जिसमें 15 करोड़ रुपए पूरी तरह लौटा दिए गए जबकि 50 करोड़ रुपए का इस्तेमाल जमीन की खरीद के लिए हुआ। डीएलएफ ने कहा कि उसे न तो किसी राज्य सरकार से बेजा लाभ मिला है और न ही दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान सरकारों की ओर से कोई जमीन आवंटित की गई है। इसपर केजरीवाल ने कहा, ‘मैंने सावधानीपूर्वक डीएलएफ के जवाब को देखा है। यह स्पष्ट है कि उन्होंने काफी जानकारी दबाई है। अभी मेरे लिए प्रतिक्रिया देना ठीक नहीं होगा। हम कल विस्तार से जवाब देंगे।’
कांग्रेस मामले की जांच कराने की विपक्ष की मांग को पहले ही खारिज कर चुकी है। कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि ये आरोप सस्ती लोकप्रियता पाने के लिये केजरीवाल द्वारा लगातार किये जा रहे प्रयासों का हिस्सा है। भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इस मामले में संबद्ध पक्ष ठोस स्पष्टीकरण दें और मामले को समाप्त करें। उन्होंने कहा, ‘अगर एक संगठन दावा करता है कि कुछ अनियमितताएं हुई हैं और तब कांग्रेस दावा करती है कि ऐसा कुछ नहीं है तो इसका कोई अंत ही नहीं होगा।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 7, 2012, 19:17