वाड्रा-डीएलएफ डील की जांच में राबर्ट वाड्रा को क्लीन चिट

वाड्रा-डीएलएफ डील की जांच में राबर्ट वाड्रा को क्लीन चिट

वाड्रा-डीएलएफ डील की जांच में राबर्ट वाड्रा को क्लीन चिटचंडीगढ़/नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को भूमि के सौदों के बारे में हरियाणा के चार सरकारी अधिकारियों ने जांच के बाद क्लीन चिट दे दी है। रीयल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के साथ हुए सौदों पर काफी विवाद के बाद जांच के आदेश दिए गए थे। जांच का आदेश चर्चित आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने दिया था।

अधिकारियों की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच में पाया गया कि कांग्रेस शासित राज्य में चार जिलों में सम्पत्ति की कीमत को कम करके नहीं बेचा गया और उनकी कंपनियों ने स्टांप शुल्क नहीं बचाया जिससे राज्य के खजाने को कोई नुकसान हुआ हो। गौरतलब है कि इस मामले में कथित तौर पर यह बात सामने आयी है कि वाड्रा या उनकी कंपनियों द्वारा हरियाणा के चार जिलों में खरीदी या बेची गयी संपत्तियों की कीमतें कम करके नहीं आंकी गयी ।

खेमका ने गुड़गांव, फरीदाबाद, पलवल और मेवात के उपायुक्तों से कहा था कि वे वाड्रा या उनकी कंपनियों की ओर से 2005 के बाद विक्रेता और खरीदार की हैसियत से पंजीकृत दस्तावेजों की जांच करें। आईएएस अधिकारी ने रियल एस्टेट क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ‘डीएलएफ’ को तीन एकड़ से ज्यादा जमीन की बिक्री को भी रद्द कर दिया था। अरविंद केजरीवाल और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने इस रिपोर्ट को तत्काल खारिज कर दिया है।

कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने हालांकि रिपोर्ट का बचाव करते हुए कहा कि रिपोर्ट तैयार करने वाले सभी अधिकारी जिम्मेदार लोग हैं। वहीं, नई दिल्ली में केजरीवाल ने कहा, ‘ऐसी ही उम्मीद थी। अगर ऐसा नहीं होता तब देश के लोगों को अश्चर्य होता।’ दूसरी ओर, भाजपा ने कहा कि भूमि सौदों में कथित अनियमितता बरते जाने संबंधी आरोपों पर राबर्ट वाड्रा को हरियाणा सरकार द्वारा क्लीन चिट दिया जाना ‘खुद ही को प्रमाणपत्र’ देने जैसा है, क्योंकि यह छानबीन उन लोगों ने की है जिनके खिलाफ तहकीकात होनी चाहिए थी।

पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘सच्चाई केवल स्वतंत्र जांच से सामने आ सकती है। वाड्रा मामले में हरियाणा के जिन अधिकारियों के विरुद्ध जांच करनी चाहिए थी, उल्टे उन्होंने घोषणा कर डाली कि वाड्रा-डीएलएफ सौदों में कोई अनियमितता नहीं है। यह इस बात का साफ संकेत है कि कांग्रेस सोनिया गांधी के दामाद पर लगे आरोपों की जांच कराने से भाग रही है।’ उन्होंने कहा कि इस बात का कोई जवाब नहीं दिया गया कि वाड्रा की कंपनियों की बैलेंसशीट में दर्शाए गए 7.94 करोड़ रुपए का स्रोत क्या है। इस मामले में वाड्रा या कॉर्पोरेशन बैंक में से कौन झूठ बोल रहा है?

बहरहाल, सूत्रों ने चंडीगढ़ में बताया कि जिला राजस्व अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर चारों जिलों के उपायुक्तों ने स्पष्ट किया है कि वाड्रा की जमीन से जुड़े करारों में कभी भी कीमतें कम करके नहीं आंकी गयीं । उपायुक्तों की यह रिपोर्ट अब अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली उस तीन सदस्यीय समिति को सौंपी जाएगी जिसका गठन खेमका की ओर से उठाए गए मुद्दों की जांच के लिए किया गया था। (एजेंसी)

First Published: Friday, October 26, 2012, 08:59

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