वाड्रा-डीएलएफ डील: खेमका पर हरियाणा के अधिकारी ने उठाए सवाल

वाड्रा-डीएलएफ डील: खेमका पर हरियाणा के अधिकारी ने उठाए सवाल

वाड्रा-डीएलएफ डील: खेमका पर हरियाणा के अधिकारी ने उठाए सवालचंडीगढ़ : रॉबर्ट वाड्रा-डीएलएफ जमीन करार को रद्द किए जाने के आदेश पर अब हरियाणा के दो वरिष्ठ अधिकारियों में ठन गई है। शहरी एवं ग्रामीण योजना विभाग के महानिदेशक आईएएस अधिकारी टीसी गुप्ता ने आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी अशोक खेमका के इस आदेश को ‘तथ्यात्मक अशुद्धियां वाला’ और ‘प्रशासनिक औचित्य की पूरी तरह से उपेक्षा’ करने वाला बताया है।

उधर, साढ़े तीन एकड़ जमीन के इस करार के दाखिल-खारिज को रद्द करने का आदेश जारी करने वाले खेमका ने अपने आदेश को सही ठहराया और कहा कि इस आदेश से पीड़ित महसूस करने की सूरत में कोई भी पक्ष :सरकार या इस करार के दोनों पक्ष: उच्च न्यायालय की शरण ले सकते हैं। खेमका ने आज लगभग 50 मिनट तक राज्य के मुख्य सचिव पीके चौधरी से मुलाकात की। इस विवाद और चकबंदी के महानिदेशक पद से उनके तबादले के बाद यह उनकी पहली बैठक है।

इससे पहले गुप्ता ने राज्य के मुख्य सचिव को कल लिखे एक पत्र में 15 अक्तूबर को चकबंदी एवं भूमि रिकार्ड सह पंजीकरण के महानिरीक्षक की ओर से जारी आदेश पर आपत्ति जताई है। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी गुप्ता ने कहा कि खेमका के आदेश की मूल प्रति अभी तक उनके विभाग को नहीं मिली है, जबकि यह ‘सभी अखबारों, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पास पहुंच चुकी है।

गुप्ता ने कहा कि इन आदेशों में इस विभाग की कार्यप्रणाली के खिलाफ कुछ गैर जरूरी टिप्पणियां की गई हैं, जो न सिर्फ बेबुनियाद हैं बल्कि पूरी तरह से गैर जरूरी हैं। मुख्य सचिव से मुलाकात के बाद खेमका ने संवाददाताओं से कहा कि मुख्य सचिव से बातचीत एक विशेषाधिकार वाला संवाद था। इसे मीडिया के समक्ष जाहिर नहीं किया जा सकता।

खेमका ने कहा कि मैंने चकबंदी महानिदेशक का पद छोड़ दिया है। अगर किसी पक्ष या सरकार को मेरे फैसले पर कोई आपत्ति है, तो उसका समाधान (पंजाब एवं हरियाणा) उच्च न्यायालय में जाना है। उन्होंने कहा कि मैं मुख्य सचिव से हुई मुलाकात से संतुष्ट हूं।

गुप्ता के पत्र में उनके फैसले की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मुझे इस पत्र की जानकारी नहीं है। यह मामले से ध्यान भटकाने के लिए इस्तेमाल की जा रही रणनीति है। आपको मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए ना कि फैलाए जा रहे मिथक पर। उनके खिलाफ कार्रवाई किए जाने की गुप्ता की मांग पर खेमका ने कहा कि यह सरकार के हाथ में है। उन्होंने कहा कि सब कुछ कागजों पर दर्ज है और कुछ भी ऐसा नहीं है जिस पर विवाद हो। लेकिन अब मैं इस पद पर नहीं हूं, इसलिए मेरा टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

दाखिल-खारिज रद्द करने के अपने आदेश पर उन्होंने कहा कि जहां तक मुझे लगता है यह अंतिम आदेश है। हालांकि अगर सरकार को लगता है कि मेरे आदेश में कोई कमजोरी है, तो वह संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर सकते हैं। गौरतलब है कि गुप्ता ने अपने पत्र में आरोप लगाए हैं कि ‘खेमका के आदेशों में कई इशारे करने वाली टिप्पणियां की गई हैं। अपने आदेश में खेमका ने कहा कि यह समझ से परे है कि शहरी एवं ग्रामीण योजना विभाग ने 18 जनवरी 2011 को वेंडर के पक्ष में कैसे लाइसेंस (एलओआई का नवीकरण कर दिया, जबकि कुल सौदे की 86.2 फीसदी राशि उसे सात अक्टूसबर 2009 नवीकरण की तिथि से 15 महीने पहले को दे दी गई थी। (एजेंसी)

First Published: Thursday, October 18, 2012, 13:42

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