`मनमोहन सिंह की चुप्‍पी से साख गिरी, हुए बेअसर`

वाशिंगटन पोस्‍ट ने भी मनमोहन की साख पर लगाया बट्टा

वाशिंगटन पोस्‍ट ने भी मनमोहन की साख पर लगाया बट्टावाशिंगटन,: देश में आर्थिक सुधारों के प्रणेता के तौर पर अपनी वैश्विक छवि बनाने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की 'काबीलियत' पर एक बार फिर विदेशी मीडिया ने सवाल उठाया है। इस बार एक अमेरिकी समाचार पत्र ने उन्हें 'निष्प्रभावी' व 'अनिर्णय' की स्थिति वाला 'नौकरशाह' करार दिया है और कहा है कि मनमोहन सिंह पर इतिहास में विफल प्रधानमंत्री के रूप में दर्ज होने का खतरा (ट्रैजिक फिगर) मंडरा रहा है। दरअसल, अमेरिकी समाचार पत्र 'वाशिंगटन पोस्ट' ने प्रधानमंत्री मनमोहन को 'निष्प्रभावी व अनिर्णय की स्थिति वाला नौकरशाह' करार देते हुए अपने एक लेख में कहा कि वह ऐसी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं, जो भ्रष्टाचार में डूबी हुई है।'

बहरहाल, केंद्र सरकार ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है और 'वाशिंगटन पोस्ट' के लेख पर कड़ा ऐतराज जताते हुए बुधवार को कहा कि वह इस अमेरिकी समाचार पत्र से इसके लिए माफी मांगने को कहेगी।

समाचार पत्र ने यह भी कहा है कि मनमोहन सिंह की छवि को ऐसे आरोपों से नुकसान पहुंचा है कि "जब उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी अपनी जेबें भर रहे थे, तो वह इसे नजरंदाज करते रहे और चुप्पी साधे रहे।"

समाचार पत्र ने कहा है कि मनमोहन सिंह भारत को आधुनिकता, समृद्धि तथा शक्ति के रास्ते पर ले गए, लेकिन आलोचकों का कहना है कि संकोची, मृदुभाषी 79 वर्षीय मनमोहन पर इतिहास में विफल प्रधानमंत्री के रूप में दर्ज होने का खतरा मंडरा रहा है।

समाचार पत्र के अनुसार, "भारतीय अर्थव्यवस्था के वास्तुशिल्पी मनमोहन सिंह ने अमेरिका के साथ भारत के सम्बंधों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वह दुनिया में सम्मानित व्यक्ति हैं। लेकिन सम्मानित, विनम्र तथा बौद्धिक टेक्नोक्रैट वाली उनकी छवि धीरे-धीरे बिल्कुल अलग तरह से उभर रही है और वह छवि है, भ्रष्टाचार में गहराई तक डूबी सरकार का नेतृत्व करने वाले निष्प्रभावी व अनिर्णय की स्थिति वाले नौकरशाह की।"

समाचार पत्र ने लिखा है कि पिछले दो सप्ताह से विपक्ष ने कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितता को लेकर प्रधानमंत्री के पद से मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग को लेकर संसद की कार्यवाही बाधित कर रखी है।

समाचार पत्र ने लिखा है कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिह के दूसरे कार्यकाल में उनकी छवि में नाटकीय गिरावट आई है। मनमोहन की धीरे-धीरे गिरती जा रही प्रतिष्ठा के साथ-साथ उनके कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था में भी गिरावट आई है।

समाचार पत्र के अनुसार, "भारत का आर्थिक विकास सुस्त हो गया है, भ्रष्टाचार के मामले कई बार सामने आए, इस पर सवाल खड़े हो गए कि देश वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।"

विडम्बना यह है कि मनमोहन सिंह की बेदाग छवि और उनके आर्थिक अनुभव के बावजूद सरकार कई मोर्चे पर विफल होती नजर आ रही है, जो सरकार के लिए आईना है।

वाशिंगटन पोस्ट में कहा गया है, "मनमोहन के नेतृत्व में आर्थिक सुधार रुक गया, विकास सुस्त हो गया और रुपये की कीमत में भारी गिरावट आई। लेकिन उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाला सबसे बड़ा आरोप यह है कि जब उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी अपनी जेबें भर रहे थे तो वह उसे नजरंदाज करते रहे और उन्होंने चुप्पी साधे रखी।"

इस बीच, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने कहा, "अमेरिकी समाचार पत्र इसे इतने हल्के ढंग से कैसे ले सकता है और किसी दूसरे देश के प्रधानमंत्री के बारे में ऐसा कैसे प्रकाशित कर सकता है? मैं विदेश मंत्रालय से बात करूंगी और सरकार अमेरिकी समाचार पत्र से इस मुद्दे पर माफी मांगने के लिए कहेगी।"

सोनी ने 'द वाशिंगटन पोस्ट' की इस रिपोर्ट को 'पीत पत्रकारिता' का उदाहरण और 'निराधार' करार दिया।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा ) ने सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि किसी ने भी नहीं सोचा था कि प्रधानमंत्री की छवि इस कदर धूमिल होगी।

भाजपा नेता राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा, "द वाशिंगटन पोस्ट को यह समझने में काफी वक्त लग गया कि प्रधानमंत्री कुछ नहीं बोलते और अब उनका न बोलना उनका दोष साबित हो गया है। प्रधानमंत्री की स्थिति आज बहुत अस्थिर है।"

उल्लेखनीय है कि इससे पहले प्रसिद्ध 'टाइम' पत्रिका ने मनमोहन सिंह को 'अंडर अचीवर' बताया था और उसके बाद 'दि इंडिपेंडेंट' ने भी उनकी आलोचना की थी। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, September 5, 2012, 11:51

comments powered by Disqus