Last Updated: Friday, March 16, 2012, 07:02
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट
ने शुक्रवार को कहा कि सीबीआई की एक जांच के अनुसार जुलाई 2010 में आंध्र प्रदेश पुलिस द्वारा शीर्ष माओवादी नेता चेरीकुरी राजकुमार उर्फ आजाद और एक पत्रकार का मारा जाना फर्जी मुठभेड़ नहीं थी। न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने कहा कि फर्जी मुठभेड़ होने के संबंध में याचिकाकर्ताओं की आशंका जांच में सही नहीं साबित हुई है।
पीठ ने सीबीआई की अंतिम रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा कि एजेंसी ने अपनी जांच के समर्थन में सबूत पेश किए हैं। पीठ ने कहा कि सीबीआई ने मामले में गहन जांच की है और हमने घटनाक्रम पर गौर किया है। पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह फर्जी मुठभेड़ का मामला नहीं लगता। न्यायमूर्ति आलम ने कहा कि उन्होंेने सावधानीपूर्वक रिपोर्ट का अध्ययन किया है।
पीठ वकील प्रशांत भूषण के इस अनुरोध पर सहमत हो गयी कि उन्हें भी सीबीआई की अंतिम रिपोर्ट देखने की अनुमति दी जाए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि घटना वास्तविक मुठभेड़ थी। पीठ ने याचिकाकर्ता को उच्चतम न्यायालय रजिस्ट्री से रिपोर्ट की प्रति लेने को कहा। साथ ही पीठ ने यह निर्देश भी दिया कि वह रिपोर्ट की गोपनीयता कायम रखें।
(एजेंसी)
First Published: Friday, March 16, 2012, 15:33