Last Updated: Sunday, September 29, 2013, 15:10
नई दिल्ली : कड़े मुकाबले के आसार देख रही कांग्रेस पार्टी द्वारा मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने सभी विधायकों को टिकट देने का फार्मूला अपनाए जाने की संभावना काफी कम है। छत्तीसगढ़ और मिजोरम समेत चुनावी समर का सामना करने जा रहे राज्यों में कांग्रेस के प्रभारी पदाधिकारियों द्वारा इस बार कुछ ऐसे ही स्पष्ट संकेत दिए जा रहे हैं।
विधानसभा चुनावों की घोषणा इस सप्ताह किए जाने की उम्मीद है और चुनाव दीवाली के बाद मध्य नवंबर में हो सकते हैं। मौजूदा को टिकट का फार्मूला अपनाए जाने के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के महासचिव शकील अहमद ने ना में जवाब दिया। अभी तक यही होता आया था कि आमतौर पर मौजूदा विधायक को ही फिर से मैदान में उतारा जाता था।
दिल्ली में पार्टी मामलों के प्रभारी अहमद ने कहा कि सभी पार्टी विधायकों को टिकट के लिए आवेदन देना होगा और उनके कार्य प्रदर्शन तथा छवि के आधार पर फैसला लिया जाएगा। अहमद ने कहा, हम भरपूर कोशिश करेंगे कि बेहतर से बेहतर उम्मीवार खड़ा किया जाए। मध्य प्रदेश में चयन प्रक्रिया में शामिल रहे एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि मौजूदा विधायकों को टिकट देने का फैसला व्यक्ति व्यक्ति के आधार पर तय होगा।
राजस्थान चुनाव से जुड़े एक पार्टी नेता ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व कुछ विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को समाप्त करना चाहता है जिन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा, सत्ता विरोध मुख्यमंत्री के खिलाफ नहीं है बल्कि कुछ विधायकों के खिलाफ है और पार्टी को इस मुद्दे को देखना होगा।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पिछले दस सालों से सत्ता से बाहर है और वहां वर्ष 2003 से ही सत्ता की कमान भाजपा के हाथों में है । स्वतंत्र भारत में शीला दीक्षित ने सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाली पहली महिला होने का रिकार्ड बनाया है। आगामी चुनाव में वह चौथी बार का सपना लेकर उतरेंगी। राजस्थान, जहां कांग्रेस सत्ता में है, वहां कई सालों से उसकी भाजपा से करीबी खुन्नस है। मिजोरम में भी कांग्रेस सत्ता में है। कांग्रेस की कई बैठकों में उपाध्यक्ष राहुल गांधी इस बात पर बार बार जोर दे चुके हैं कि पार्टी नेताओं को चुनाव वाले राज्यों में एकजुटता दिखानी चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Sunday, September 29, 2013, 15:08