विपक्षी दलों ने कहा, वापस हो लोकपाल बिल - Zee News हिंदी

विपक्षी दलों ने कहा, वापस हो लोकपाल बिल



नई दिल्ली : लोकपाल विधेयक पर मंगलवार को लोकसभा में जारी बहस के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपनी-अपनी राय रखी। विपक्षी दलों में किसी ने इस विधेयक में खामियां निकाली तो किसी ने इसे वापस लेने की मांग की जबकि कांग्रेस और सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं ने विधेयक का बचाव किया।

 

प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लोकपाल विधेयक में कई खामियां बताईं। पार्टी का कहना है कि देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत व प्रभावी कानून होना चाहिए लेकिन सरकार की ओर से पेश विधेयक में ऐसा कुछ भी नहीं है।

 

भाजपा के वरिष्‍ठ नेता यशवंत सिन्‍हा ने भी कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने लोकपाल विधेयक के बदले नैतिक रूप से दिवालिया एक 'ब्रोकपाल' लाया है। लोकसभा में लोकपाल विधेयक पर हुई बहस में भाग लेते हुए सिन्हा ने कहा कि नैतिक रूप से दिवालिया सरकार ने लोकपाल नहीं, ब्रोकपाल लाया है। यदि सरकार भ्रष्टाचार से मजबूती से लड़ना चाहती है तो विधेयक को फिर से स्थायी समिति के पास भेजने की जरूरत है।

 

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने लोकपाल विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि यह साफतौर पर असंवैधानिक विधेयक है, जो त्रुटिपूर्ण है और हमारे संविधान की मूल भावना से छेड़छाड़ करता है। उनकी दूसरी आपत्ति प्रस्तावित विधेयक में आरक्षण का प्रावधान शामिल किए जाने पर थी। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसलों में यह दोहराया है कि आरक्षण 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता।

 

उन्होंने कहा कि यह विधेयक कहता है कि लोकपाल निकाय के नौ सदस्यों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं जैसे आरक्षित वर्ग 50 प्रतिशत से कम नहीं होने चाहिए। उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को एक स्वतंत्र लोकपाल के तहत लाकर उसे सरकार के नियंत्रण से स्वतंत्र करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार ये बदलाव करती है तब तो उनकी पार्टी इस विधेयक का समर्थन करेगी। यदि ये बदलाव नहीं किए जा सकते तो मैं आपसे हाथ जोड़कर अनुरोध करती हूं कि इस विधेयक को वापस लें और अगले सत्र में एक ताजा विधेयक लेकर आएं।

 

वहीं, जनता दल (युनाइटेड) के शरद यादव ने कहा कि अन्ना हजारे के नेतृत्व में सामाजिक संगठन द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का असली रूप सामने आ गया है। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में दलित या पिछड़ा वर्ग का एक भी व्यक्ति शामिल नहीं है। उन्होंने प्रत्येक सांसद को भ्रष्ट बताए जाने के प्रयास का भी विरोध किया। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने सरकार से लोकपाल विधेयक को प्रभावी बनाने के लिए विपक्षी पार्टियों द्वारा प्रस्तावित संशोधनों को स्वीकार करने की अपील की।

 

मुलायम ने सरकार द्वारा पेश विधेयक को कमजोर बताया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को कैसे खत्म किया जाए, इस बारे में पूरा देश सोच रहा है और उसे उम्मीद है कि यह विधेयक भ्रष्टाचार को समाप्त कर देगा। लेकिन अब केवल एक ही रास्ता है और वह है कि जो संशोधन लाए जा रहे हैं उन्हें स्वीकार किया जाए। लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक ने लोगों को निराश किया है। उन्होंने कहा कि यदि आप संशोधनों को स्वीकार नहीं करेंगे तो आप पर सीबीआई को अपने नियंत्रण में रखने का जो आरोप लगता है, वही आरोप लोकपाल के बारे में भी लगेगा। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लालू प्रसाद ने केंद्र सरकार से इस विधेयक को वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि विधेयक को ठीक तरीके से तैयार नहीं किया गया है और उसे वापस स्थायी समिति के पास भेज देना चाहिए।

 

उधर, वामपंथी दलों ने लोकपाल विधेयक को लेकर केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए आज कहा कि वह एक कमजोर लोकपाल विधेयक पेश कर अपने गुप्त एजेंडे को साधने में लगी है। वाम दलों ने कहा कि सरकार पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर देश की जनता को संदेश देना चाहती है कि सरकार तो गंभीर है लेकिन विपक्ष उसका साथ नहीं दे रहा और इसीलिए चुनाव में उसे ही वोट दें। कम्युनिस्ट नेता गुरुदास दासगुप्ता ने लोकसभा में विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि आज राष्ट्रीय व्यवस्था का हर अंग भ्रष्टाचार की बीमारी से सड़ रहा है और उसे बचाने के लिए कास्मेटिक सर्जरी के बजाय ‘बड़े आपरेशन’ की जरूरत है।

 

दासगुप्ता का कहना था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आजादी के बाद से ही लड़ाई जारी रही है , इसलिए प्रधानमंत्री द्वारा जन आंदोलन का जिक्र करना शोभा नहीं देता। इससे यह संदेश जाता है कि सरकार दबाव में है।

(एजेंसी)

First Published: Tuesday, December 27, 2011, 21:45

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