विरोध के बीच पाक PM अशरफ ने अजमेर दरगाह पर की इबादत| Pervez Ashraf

विरोध के बीच पाक PM अशरफ ने अजमेर दरगाह पर की इबादत

विरोध के बीच पाक PM अशरफ ने अजमेर दरगाह पर की इबादतअजमेर : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने अपनी निजी यात्रा के दौरान शनिवार को यहां ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की जियारत की। उनकी यात्रा का कई लोगों ने विरोध किया है।

पाकिस्तान के 62 वर्षीय प्रधानमंत्री की 13वीं शताब्दी की ऐतिहासिक दरगाह की संक्षिप्त यात्रा असहज रही क्योंकि दरगाह के दीवान ने पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सैनिकों का सिर काटने और उनकी जघन्य हत्या के विरोध में अशरफ की यात्रा का बहिष्कार किया।

कड़ी सुरक्षा में हुई पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की यात्रा का विरोध यहीं नहीं थमा, स्थानीय वकीलों, कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं और बाजार संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी उनकी यात्रा का विरोध किया और पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए।

दरगाह पर चादर और फूल चढ़ाने के बाद अशरफ ने विश्व में शांति और पाकिस्तान में खुशहाली की दुआ मांगी।

आगंतुक पुस्तिका में अशरफ ने उर्दू में लिखा,‘मैं और मेरा परिवार खुशकिस्मत हैं कि उन्हें दरगाह पर इबादत का मौका मिला। मैं आपका शुक्रगुजार हूं गरीब नवाज। मैं दुनिया में अमन और पाकिस्तान में अमन और खुशहाली की दुआ करता हूं।’

अशरफ के साथ उनकी पत्नी के अलावा 20 से अधिक लोग यहां आए हैं, जिनमें उनके रिश्तेदार शामिल हैं। उन्होंने दरगाह पर जियारत की और करीब 30 मिनट तक वहां रहे। उनकी जियारत प्रक्रियाओं में खादिमों ने मदद की।

क्रीम रंग की शेरवानी पहने अशरफ ने सफेद गोल टोपी पहनी थी। वह ख्वाजा के दरबार में चढ़ाने के लिए 42 मीटर लंबी बहुरंगी मखमली चादर अपने सिर पर रखकर लाए। उनके पारिवारिक खादिम सैयद बिलाल चिश्ती द्वारा जियारत कराई गई। दरगाह के भीतर दस्तारबंदी की रस्म भी अदा की गई।

वकीलों द्वारा अशरफ की यात्रा का विरोध करने की धमकियों के चलते दरगाह और उसके आसपास कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। हेलीपैड से दरगाह तक के पूरे रास्ते में एक हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे।

प्रधानमंत्री अशरफ की वापसी की यात्रा के लिए घूघर हेलीपैड पर जाने के दौरान उन्हें काले झंडे दिखाने की गरज से फव्वारा गोल चक्कर पर जमा हुए वकीलों के एक समूह को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को हलका बल प्रयोग करना पड़ा। पुलिस ने बताया कि विशिष्ट मेहमानों के काफिले को दूसरे रास्ते से सुरक्षित हेलीपैड तक ले जाया गया।

इससे पूर्व दरगाह के मुख्य दरवाजे निजाम गेट पर खादिमों ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की अगवानी की।

पड़ोसी देश से आए विशिष्ट मेहमान जैसे ही दरगाह में पहुंचे परंपराओं और रस्मों के अनुसार उनकी शान में शादियाने बजाए गए। इसके बाद मेहमानों का काफिला शाहजहानी गेट, बुलंद दरवाजा, संदली गेट और आहाता-ए-नूर से होता हुआ आस्ताना की ओर बढ़ा। बेगमी दालान से दरगाह में प्रवेश करने से पहले उन्हें दरगाह के बारिदर से मिलवाया गया।

इसके बाद प्रधानमंत्री ने फातेहा पढ़ा और मस्जिदों, ख्वाजा के शागिदो’ की कब्रों और सालाना उर्स के दौरान खाना पकाने में काम आने वाली दो बड़ी देग से होते हुए परिसर का चक्कर लगाया।

जयपुर से चला अशरफ और उनके प्रतिनिधिमंडल का हेलीकाप्टर शहर के बाहरी इलाके में स्थित घूघर हेलीपैड पर उतरा। जयपुर में विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने उनकी अगवानी की और उनके सम्मान में भोज दिया।

पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने विशिष्ट अतिथियों की अगवानी की, जिसके बाद वह हेलीपैड से सड़क के रास्ते दरगाह शरीफ के 13 किलोमीटर लंबे सफर पर रवाना हो गए।

दरगाह समिति के मुख्य कार्यकारी मोहम्मद अफजल ने दरगाह के भीतर उनकी अगवानी की। मेहमानों ने निजाम गेट से दरगाह में प्रवेश किया।

हेलीपैड की ओर उनकी रवानगी के पहले बुलंद दरवाजा पर दरगाह समिति ने उनका सम्मान किया।

दोपहर के बाद पड़ोसी देश के मेहमानों की यात्रा को देखते हुए दरगाह परिसर को खाली करा लिया गया और केवल पासधारकों को ही अशरफ और उनके परिवार की दरगाह में मौजूदगी के दौरान भीतर रूकने दिया गया। अजमेर शरीफ दरगाह के दीवान जैनुल आबेदिन अली खान ने कहा कि वह मेहमानों का इस्तकबाल नहीं करेंगे।

उनका कहना था कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का स्वागत करना हमारे सैनिकों की शहादत का अपमान होगा क्योंकि पाकिस्तान ने हमारी सरकार के विरोध के बावजूद न तो दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है और न ही हमारे सैनिकों के सिर लौटाए हैं इसलिए मैं उनकी यात्रा का बहिष्कार करता हूं।

परंपरा के अनुसार जब विशिष्ट अतिथि अजमेर शरीफ दरगाह पहुंचते हैं तो दरगाह के दीवान उनकी अगवानी करते हैं।

खान के बहिष्कार को सांकेतिक माना जा रहा है क्योंकि उन्हें केवल रस्मी प्रमुख के तौर पर देखा जाता है। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की 13वीं शताब्दी की दरगाह पर नियंत्रण रखने वाले खादिम पूरे समय मेहमानों के साथ रहे और उन्होंने दरगाह में जियारत के दौरान उनकी मदद की।

इससे पहले पाकिस्तान के शासकों में से दरगाह पर आने वालों में जनरल अय्यूब खान, जनरल जिया उल हक, नवाज शरीफ, बेनजीर भुट्टो, परवेज मुशर्रफ और आसिफ अली जरदारी प्रमुख हैं। (एजेंसी)

First Published: Saturday, March 9, 2013, 19:32

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