Last Updated: Wednesday, February 20, 2013, 13:18

नई दिल्ली : चंदन तस्कर वीरप्पन के चार सहयोगियों की मौत की सजा कुछ दिनों के लिए और स्थगित कर दी गई है । उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम आदेश को आगे बढ़ाते हुए उनकी मौत की सजा पर रोक लगा दी है। उन्हें वर्ष 1993 में कर्नाटक में बारूदी सुरंग में विस्फोट कर 22 पुलिसकर्मियों की हत्या करने के दोष में मौत की सजा सुनाई गई है ।
भारत के प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह मामले को लंबित रख रही है क्योंकि दूसरी पीठ ने भी इस याचिका पर सुनवाई की है और उसने फैसले को सुरक्षित रखा है ।
पीठ ने कहा कि याचिका सजायाफ्ताओं की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने से संबंधित है जिन्होंने मौत की सजा में विलंब के आधार पर बदलाव की मांग की है ।
पीठ ने कहा, ‘‘हमने जब सुनवाई शुरू की तो इसमें यह मुख्य सवाल शामिल रहा । हमारे संज्ञान में लाया गया कि इसी मुद्दे पर दूसरी रिट याचिकाओं पर दो न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई कर रही है जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता रामजेठमलानी और टी. आर. अंध्यारुजिना अदालत मित्र हैं ।’’ वीरप्पन का बड़ा भाई गणप्रकाश और उसके सहयोगी सिमोन, मिसीकर मदैया और बिलावेन्द्रन को 1993 में कर्नाटक के पलार में हुए विस्फोट के सिलसिले में 2004 में फांसी की सजा सुनाई गई थी ।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 13 फरवरी को उनकी दया याचिका खारिज कर दी थी। वर्तमान में वे कर्नाटक के बेलगांव की एक जेल में बंद हैं । मैसूर में टाडा की एक अदालत ने 2001 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी जिसे उच्चतम न्यायालय ने बढ़ाते हुए मौत की सजा कर दी थी ।
गिरोह का सरगना वीरप्पन अक्तूबर 2004 में तमिलनाडु पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया था । उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर दूसरी पीठ द्वारा रिट याचिका पर सुनवाई में 19 अप्रैल 2012 को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था ।
पीठ ने कहा कि अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल हरेन रावल ने सूचित किया है कि देवेन्दर पाल सिंह भुल्लर और एम. एन. दास की रिट याचिकाओं पर विचार करते हुए दूसरी पीठ के पास इसी तरह के मामले में विचार करने का अवसर था जिसमें दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित थी ।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मुद्दे पर चूंकि दूसरी पीठ ने सुनवाई की है और फैसला सुरक्षित रखा है इसलिए संभावना है कि वीरप्पन के सहयोगियों की याचिकाओं पर सुनवाई वही पीठ करेगी । (एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 20, 2013, 09:00