वोडाफोन के बहाने केजरीवाल का सिब्बल पर हमला

वोडाफोन के बहाने केजरीवाल का सिब्बल पर हमला

नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी (आप) ने आज उस ‘जल्दबाजी’ पर सवाल उठाया जिसमें कपिल सिब्बल द्वारा कानून मंत्री पद का प्रभार लेने के महज एक दिन के भीतर केंद्रीय कानून मंत्रालय ने अपने रूख में बदलाव लाते हुए वोडाफोन के साथ 11,000 करोड़ रुपए के कर विवाद को अदालत के बाहर ही निपटाने की इजाजत दे दी।

एक संवाददाता सम्मेलन में ‘आम आदमी पार्टी’ के नेता अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने यह आरोप भी लगाया कि वोडाफोन से जुड़े इस मामले में सिब्बल का ‘हितों का टकराव’ भी है क्योंकि उनके वकील पुत्र अमित सिब्बल ‘अब भी हचींसन की पैरवी कर रहे हैं।’ हचीसन ब्रिटिश दूरसंचार कंपनी वोडाफोन की साझेदार थी ।सिब्बल के फैसले में ‘जल्दबाजी’ पर सवाल उठाते हुए केजरीवाल ने आरोप लगाया कि पद संभालने के 24 घंटों के भीतर उन्होंने ‘भ्रष्टाचार में शामिल’ होना शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि अश्विनी कुमार के इस्तीफे के बाद दो दिन पहले ही सिब्बल ने कानून मंत्री का पद संभाला है।

केजरीवाल ने आरोप लगाया, ‘इसकी क्या जरूरत थी? वह ऐसा इस वजह से कर रहे हैं क्योंकि उनके पुत्र हच के वकील हैं जिसने वोडाफोन को अपने शेयर बेचे थे।’ बहरहाल, सिब्बल के करीबी सूत्रों ने यह कहते हुए इन आरोपों से इंकार किया कि अमित 2007 और 2009 के बीच वोडाफोन के वकील थे जबकि वोडाफोन मामला तो पिछले साल सामने आया। सूत्रों ने यह भी कहा कि जब से सिब्बल दूरसंचार मंत्री बने हैं, उनके दोनों पुत्रों में से किसी ने भी दूरसंचार संबंधी किसी मामले को हाथ में नहीं लिया और न ही इनसे जुड़ी कोई पैरवी की। अमित ने भी इन आरोपों को ‘सरासर गलत’ करार दिया।

उन्होंने कहा, ‘पिछली बार मैं 22 अप्रैल 2010 को किसी दूरसंचार कंपनी की तरफ से अदालत में पेश हुआ था और यह तब की बात है जब सिब्बल दूरसंचार मंत्री बने भी नहीं थे। मैं हमेशा ऐसे मामले अपने हाथ में लेने से बचता रहा हूं। वोडाफोन के लिए भी मैं तीन साल पहले अदालत में पेश हुआ था और उस वक्त इससे जुड़ा कोई कर विवाद सामने नहीं आया था।’ (एजेंसी)

First Published: Wednesday, May 15, 2013, 21:50

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