Last Updated: Wednesday, July 4, 2012, 20:10
नई दिल्ली: दिवंगत कांग्रेसी नेता अर्जुनसिंह शरद पवार को भरोसे के लायक नहीं मानते थे और उन्होंने अपनी किताब में इस बात का खुलासा किया है। वे यह जानने को उत्सुक थे कि पवार के प्रति कांग्रेस का अंतिम मोहभंग आखिर कब होगा।
अर्जुन सिंह की जल्दी प्रकाशित होने जा रही आत्मकथा `ए ग्रेन ऑफ सैंड इन दी आवरग्लास ऑफ टाइम` में अर्जुनसिंह ने राकांपा प्रमुख के राजनीतिक जीवन का कटु आकलन किया है।
नरसिंह राव मंत्रिमंडल में पवार के साथ काम कर चुके मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाने और बाद में कांग्रेस के साथ मेलजोल बढ़ाने को लेकर पवार की कड़ी आलोचना की थी।
किताब में सिंह ने कहा है कि उन्होंने 1986 में राजीव गांधी को पवार को कांग्रेस में फिर से शामिल करने के खिलाफ यह कहते हुए चेतावनी दी थी कि उनका इतिहास किसी भी तरह से `प्रेरणादायक` नहीं है और वे किसी दिन पार्टी को फिर धोखा दे सकते हैं।
उन्होंने लिखा है, पवार की अस्थिरता की आदत 13 साल बाद सही साबित हुई। पार्टी नेतृत्व के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण प्रचार शुरू कर दिया। निकाले जाने के बाद उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बनाई। सिंह को यह भी पक्का भरोसा था कि पवार की यह अंतिम हरकत नहीं है, जो किसी न किसी रूप में गठबंधन सहयोगी के रूप में कांग्रेस के साथ घालमेल जारी रखेंगे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 4, 2012, 20:10