शराब पीकर गाड़ी चलाना बडी समस्या: सुप्रीम कोर्ट

शराब पीकर गाड़ी चलाना बडी समस्या: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : शराब पीकर गाड़ी चलाने को समाज के लिए एक बड़ा खतरा बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि ऐसे व्यक्तियों को मामूली सजा और जुर्माना लगाकर बख्शा नहीं जाना चाहिए।

दिल्ली के बहुचर्चित बीएमडब्लू सड़क दुर्घटना कांड में संजीव नंदा की सजा बढ़ाने से इंकार करने और उसे 50 लाख रुपए सरकार को बतौर मुआवजा अदा करने का आदेश देने संबंधी न्यायमूर्ति दीपक वर्मा और न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन के फैसले में राहगीरों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गयी है। राजधानी के लोदी कालोनी थानांतर्गत 1999 में बीएमडब्लू कार ने तीन पुलिसकर्मियों सहित छह व्यक्तियों को कुचल दिया था। इस अपराध के लिए न्यायालय ने संजीव वर्मा को गैर इरातदन हत्या के जुर्म में दोषी ठहराया है।न्यायालय ने कहा है कि शहरों में राहगीर सुरक्षित नहीं है। शहर के अभिजात्य वर्ग में देर रात की पार्टियां और इसके बाद नशे में गाड़ी चलाना जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है।

न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन ने अलग से लिखे अपने निर्णय में कहा कि शराब पीकर गाडी चलाना हमारे समाज के लिए बडा खतरा बन गया है। रोजाना ही शराब के नशे में गाड़ी चलाने के कारण दुर्घटनाएं होती हैं जिसमें अनेक व्यक्तियों की जान चली जाती है, हमारे शहरों में राहगीर भी सुरक्षित नहीं है। शहरी अभिजात्य वर्ग में देर रात की पार्टियां और इसके बाद नशे में गाड़ी चलाना अब फैशन बन गया है।

न्यायमूर्ति राधाकृष्णन ने कहा कि इस तरह की घटनाएं और बढ़ेंगी क्योंकि सड़कों पर राहगीरों के लिए कोई सुरक्षा व्यवस्था है ही नहीं। उन्होंने कहा कि शराब पीने के कारण वाहन चलाने वाले व्यक्तियों की दृष्टि विकृत हो जाती है जिसकी वजह से सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। शराब के सेवन से चेतना और नजर में असमानता आ जाती है और इस वजह से किसी वस्तु की दूरी का सही अनुमान लगाना असंभव हो जाता है। जब वाहन से दूरी का प्रत्यक्ष ज्ञान गड़बड़ाता है तो दूरी को सुनिश्ति करने की आंखों की मांसपेशियों की क्षमता भी कम हो जाती है और इसी वजह से सामने की वस्तु के बारे में एकाग्रता खत्म हो जाती है।

न्यायमूर्ति राधाकृष्णन के अनुसार कोहरा, धुंध और बारिश जैसी स्थिति में, चाहे रात हो या दिन, सड़क पर किसी वस्तु की दृश्यता भी कम हो सकती है। संक्षेप में कहा जाए तो शराब के सेवन से समन्वय क्षमता कम हो जाती है, निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित होती है और से नजर और रिफलेक्सेस पर भी असर पड़ता है।

उन्होंने कहा कि राजमार्ग के निकट स्थिति अस्पतालों को ऐसी सुविधाओं से लैस किया जाना चाहिए ताकि वे सड़क दुर्धटना जैसी आपात स्थिति से निबट सकें और सड़क दुर्घटना के शिकार व्यक्तियों को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करा सकें (एजेंसी)

First Published: Saturday, August 4, 2012, 20:40

comments powered by Disqus