शशांक की नियुक्ति पर यूपी सरकार से जवाब तलब - Zee News हिंदी

शशांक की नियुक्ति पर यूपी सरकार से जवाब तलब



ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी

 

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के कैबिनेट सचिव पद पर गैर-आईएएस अधिकारी शशांक शेखर सिंह की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि इस तरह के अहम पदों के लिये नियम होने चाहिये।

 

न्यायमूर्ति बी एस चौहान और न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर की पीठ ने कहा कि तकनीकी क्षेत्र में महारत रखने वाले सैम पित्रोदा जैसे व्यक्ति को बतौर सलाहकार नियुक्त किया जाता है लेकिन कैबिनेट सचिव जैसे ओहदे के लिये उचित प्रक्रियाएं होनी चाहिये।

 

पीठ ने कहा, ‘अगर कोई कम्प्यूटर जैसे क्षेत्र में विशेषज्ञ है और जिसने सैम पित्रोदा की तरह अपने क्षेत्र में असाधारण रूप से अच्छा काम किया है, उन्हें सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया जा सकता है लेकिन इन पदों (कैबिनेट सचिव आदि) के लिये नियम और नियमन होने चाहिये।’

 

न्यायालय ने कहा, ‘आप किसी को चुनकर कैसे इस पद के लिये नियुक्त कर सकते हैं। इसमें नियम और नियमन होने चाहिये।’

 

पीठ ने मायावती सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के कैबिनेट सचिव पद पर सिंह की नियुक्ति को चुनौती देती जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। इस याचिका में सिंह को इस आधार पर पद से हटाने की मांग की गयी है कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े अधिकारी नहीं हैं।

 

इससे पहले शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश के निवासी हरीश चंद्र पांडे की ओर से दायर जनहित याचिका पर केंद्र और मायावती सरकार से जवाब मांगा था।

 

अपनी याचिका में पांडे ने कहा कि हालांकि सिंह आईएएस कैडर से ताल्लुक नहीं रखते हैं फिर भी पद पर कब्जा किये हुए हैं जो परंपरागत रूप से कैडर के अधिकारियों के पास रहती है ।

 

याचिका में कहा गया है, ‘वह प्रारंभिक तौर पर वर्ष 1979 में एक पायलट के रूप में नियुक्त किये गये थे और बाद में उन्हें वर्ष 1982 में उन्हें पदोन्नत कर नागरिक उड्डयन का महानिदेशक बना दिया गया । इसके बाद सिंह को भारतीय प्रशासनिक सेवा के विभिन्न पदों पर तैनात किये गये ।’

 

उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार दोनों ने ही कार्यालय के पूरी तरह से अवैध अनधिकार को दूर करने के लिये कोई कदम नहीं उठाया ।  (एजेंसी)

First Published: Tuesday, November 15, 2011, 11:00

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