Last Updated: Wednesday, October 24, 2012, 17:11
नई दिल्ली: परमाणु उर्जा पर जारी बहस के बीच वैज्ञानिक ऐसे परमाणु रिएक्टर की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं जिन्हें शहर के बीच में लगाया जा सकता है और इस पर अगले पांच वर्ष के अंदर काम शुरू हो सकता है ।
करीब एक दशक से 300 मेगावाट के उन्नत भारी जल रिएक्टर (एएचडब्ल्यूआर) पर काम चल रहा है और इसमें रिएक्टर के अंदर ही कई सुरक्षा विशेषताएं मौजूद हैं जिससे परमाणु संयंत्र को सघन बस्तियों के बीच भी लगाया जा सकता है ।
न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के निदेशक (तकनीक) शिव अभिलाष भारद्वाज ने यहां कहा, ‘एएचडब्ल्यूआर के अंदर सुरक्षा की कई विशेषताएं मौजूद हैं और इसे किसी भी शहर के मध्य में लगाया जा सकता है ।’ उन्होंने कहा कि 12वीं योजना के दौरान एएचडब्ल्यूआर के निर्माण की उम्मीद है।
अधिकारियों ने कहा कि इसके डिजाइन में मौजूद सुरक्षा विशेषताएं अगली पीढ़ी की सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हैं । इसकी उम्र सौ वर्ष होगी और इसमें उच्च स्तरीय खामियों को बर्दाश्त करने की क्षमता होगी ।
एएचडब्ल्यूआर रिएक्टर अंदर के खतरे को भी बर्दाश्त करने में काफी सक्षम होगा ।
परमाणु उर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनिल काकोडकर और उनके उत्तराधिकारी रतन कुमार सिन्हा के नेतृत्व में वैज्ञानिकों का एक दल इसकी रूपरेखा तैयार कर रहा है और एएचडब्ल्यूआर के निर्माण स्थल को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है । एएचडब्ल्यूआर ईंधन के रूप में थोरियम का इस्तेमाल करता है ।
एएचडब्ल्यूआर भूमि अधिग्रहण की चिंताओं को भी कम करेगा क्योंकि इसके लिए संयंत्र की चहारदीवारी से ज्यादा भूमि की जरूरत नहीं होगी । (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 24, 2012, 17:11