Last Updated: Thursday, April 4, 2013, 14:23
ज़ी न्यूज़ ब्यूरोनई दिल्ली : देश में सत्तारुढ़ गठबंधन यूपीए की प्रमुख पार्टी कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज पहली बार भारतीय उद्योग संघ (सीआईआई) के विशेष सत्र में देश के उद्योग जगत से मुखातिब हुए और देश की अर्थव्यवस्था पर अपने विचार रखे। राहुल गांधी ने कहा कि सिर्फ एक शख्स करोड़ों लोगों की मुश्किलों का हल नहीं कर सकता है। उन्होंने मौजूदा व्यवस्था पर कई तरह के सवाल उठाए और कहा कि पाठ्यक्रम तय करने में उद्योगपतियों का भी दखल होना चाहिए।
शादी कब करोगे और भारत का प्रधानमंत्री कब बनोगे जैसे बार-बार पूछे जाने वाले सवालों पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, 'इस तरह के सवाल अप्रासांगिक हैं। लोगों को देश की बजाए इस बात की चिंता ज्यादा है कि मैं शादी कब करूंगा और प्रधानमंत्री कब बनूंगा। मेरे लिए ये सवाल मायने नहीं रखते, एसी सब बातें धुआं हैं।'
राहुल ने इस बात पर जोर दिया कि विकास की राह में देश के सभी तबकों को साथ लेकर चलने की जरूरत है। राहुल गांधी ने समग्र विकास पर कई दफा जोर दिया। राहुल ने इसके अलावा शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव की वकालत करते हुए कहा कि शिक्षा को रोजगारपरक बनाने की जरूरत है, जिससे युवाओं को नौकरियां मिल सके। इसके साथ ही कांग्रेस उपाध्यक्ष ने माना कि देश अपनी ताकत का इस्तेमाल ठीक से नहीं कर रहा है। उन्होंने राजनीतिक ताकत को पंचायतों में प्रधानों तक पहुंचाने की जरूरत पर भी जोर दिया।
राहुल ने कहा, 'जब हम चुनाव लड़ते हैं, प्रधान के पास जाते हैं और समर्थन मांगते हैं, लेकिन राजनीतिक दलों के ढांचे में प्रधानों के लिए कोई शक्ति नहीं होती, यह एक समस्या है। मैं साफ तौर पर कहना चाहूंगा कि प्रधान के मुकाबले चाहे सांसद हों या विधायक, कोई फर्क नहीं पड़ता, वे समस्या का समाधान नहीं दे सकते। इसलिए हमें चाहिए कि हम एक ऐसा ढांचा तैयार करें, जिसमें प्रधान की अहम भूमिका हो। सिर्फ लेफ्ट पार्टियों और कुछ द्रविड़ पार्टियों के अलावा किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया है।'
कांग्रेस नेता ने कहा, 'देश के समेकित विकास के लिए हमें बुनियादी ढांचे को मजबूती देनी होगी। ऐसा करने के लिए हमें देश में हर जगह बिजली, पानी, इमारतें चाहिए और यह सरकार अकेली नहीं कर सकती। इसके लिए हमें आपके (उद्योग जगत) साथ की जरूरत है और यह काम बिना आप लोगों की मदद के नहीं हो सकता। इसलिए उन्होंने उद्योग जगत से आग्रह किया कि वे सिर्फ मुनाफे के बारे में न सोचकर, देश के विकास में सरकार के साथ भागीदार बने।
भारतीय उद्योग घरानों की तारीफ करते हुए राहुल ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में उनका बड़ा योगदान है। इन घरानों की वजह से ही देश को ऊर्जा मिल रही है। इस सम्मेलन में भारती ग्रुप के सुनील मित्तल,विप्रो के अजीम प्रेमजी,गोदरेज ग्रुप के आदी गोदरेज सहित अन्य बड़े उद्योगपति हिस्सा ले रहे हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि अर्थव्यवस्था की सोच सिर्फ पैसा कमाना नहीं होना चाहिए। हमें निष्पक्ष और शासन आधारित सरकारी तंत्र बनाना होगा। गरीब, बिजनेस और मिडिल क्लास को एक साथ आना होगा। लोकतंत्र में सबको साथ लेकर चलना होगा। सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती। उद्योग जगत को भी सहयोग करना होगा।
उन्होंने कहा कि भारत में मानव संसाधन की कमी नहीं है। हमारी समस्या बेरोजगारी है, बल्कि प्रशिक्षण और निपुणता की कमी है। भारत का युवा संघर्ष करने के लिए तैयार है, इसलिए उन्हें ट्रेनिंग देना जरूरी है। विकास की सड़क पर गड्ढे होना अच्छी बात नहीं। विकास दर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पांच प्रतिशत विकास दर निराशाजनक है, इसे उठाने के लिए और मेहनत करनी होगी।
अपने भाषण में राहुल ने गोरखपुर से मुंबई की अपनी ट्रेन यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 36 घंटे के इस सफर में देश को जानने का मौका मिला। इस यात्रा में मुझे एक युवक मिला जो पेशे से कारपेंटर था और वह काम के लिए मुंबई जा रहा था। बातचीत में उसने बताया कि उसे इस बात का भरोसा है कि मुंबई में काम मिल जाएगा। राहुल ने कहा कि जब मैंने उससे पूछा कि अगर उसे वहां काम नहीं मिला तो वह क्या करेगा। उसने जवाब दिया की वह बेंगलुरु की ट्रेन पकड़ लेगा और वहां काम तलाशेगा। अगर वहां भी काम नहीं मिला तो? उसका जवाब था कि वह दूसरे शहर की ट्रेन पकड़ लेगा।
बात को आगे बढ़ाते हुए राहुल ने कहा कि महाराष्ट्र में वह एक झुग्गी झोपड़ी में गए जहां एक महिला अपने दो बच्चों के साथ रह रही थी। महिला ने बातचीत में बताया कि वह और उसका पति मजदूरी करते हैं। बच्चों से बात करने पर एक ने कहा कि वह आईएएस बनना चाहता है,तो दूसरे ने कहा कि वह बिजनेस करना चाहता है। हालात को लेकर जब मैंने मां को उकसाया तो उसने पूरे भरोसे के साथ कहा कि वह और उसका पति 8-10 घंटे काम करते हैं, हम कम कमाते हैं, लेकिन इसके बावजूद दोनों बच्चे अपने-अपने सपने पूरे करेंगे।
राहुल ने कहा कि अगर हम यह सोचें की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आशाएं पूरी कर देंगे तो हम उनका पूरा होने के लिए इंतजार करते ही रह जाएंगे। एक अरब लोगों की इच्छाओं को एक आदमी पूरा नहीं कर सकता। इसके लिए हम सब को मिलकर काम करना होगा। प्रधानमंत्री बनने के बारे में पूछे गए सवाल को गैरजरूरी बताते हुए राहुल ने कहा कि यह सवाल इतना अहम नहीं है। कुछ लोग कहते हैं कि मैं प्रधानमंत्री बन सकता हूं, तो कुछ का कहना है कि मैं प्रधानमंत्री बन जाऊंगा। वहीं, कुछ का ये भी कहना है कि इस पद तक कभी पहुंच नहीं पाऊंगा। इसलिए, यह सवाल इतना जरूरी नहीं है जितना कि जनता की आवाज को कैसे उठाया जाए।
First Published: Thursday, April 4, 2013, 10:05