शारदा ग्रुप के घोटाले ने दिया राजनीतिक विवाद को जन्म

शारदा ग्रुप के घोटाले ने दिया राजनीतिक विवाद को जन्म

शारदा ग्रुप के घोटाले ने दिया राजनीतिक विवाद को जन्मज़ी मीडिया ब्‍यूरो/एजेंसी

कोलकाता : शारदा चिटफंड घोटाला बुघवार को एक राजनीतिक विवाद में बदल गया, जब इस डूबी हुई कंपनी के अध्यक्ष सुदिप्त सेन द्वारा सीबीआई को लिखे गए एक पत्र में तृणमूल कांग्रेस के दो सांसदों के नाम सामने आए और कांग्रेस तथा माकपा ने पार्टी पर ग्रुप के साथ संबंध होने का आरोप लगाया।

शारदा समूह के हजारों करोड़ रुपये के चिटफंड घोटाले पर अपने सरकार का बचाव करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि विपक्ष इस मामले को राजनीतिकरण कर रहा है। कंपनी के निवेशकों के लिए 500 करोड़ रुपये का राहत कोष बनाने का ऐलान किए जाने के बाद ममता ने ठगे गए निवेशकों को आश्‍वस्‍त किया कि उनकी क्षतिपूर्ति की जाएगी।

सिगरेट पर अतिरिक्‍त दस फीसदी टैक्‍स लगाकर क्षतिपूर्ति के मद में फंड जुटाया जाएगा। ममता ने आश्‍वासन दिया कि इस घपले से प्रभावित छोटे व मध्‍यम निवेशकों को पैसा दिया जाएगा।

आरबीआई या अन्‍य केंद्रीय एजेंसियों की ओर से कार्रवाई न होने के सवाल पर ममता ने कहा कि चिटफंड घोटाले में किसी तरह से संलिप्‍पता पाए जाने पर तृणमूल कांग्रेस के सदस्‍यों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पश्चिम बंगाल पुलिस का बचाव करते हुए ममता ने कहा कि पुलिस ने सुदीप्‍तो सेन के अलावा इस कंपनी के दो शीर्ष अधिकारियों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया है। उन्‍होंने यह भी कहा कि चिटफंड संबंधी नियमन को लेकर एसेंबली का विशेष सत्र बुलाने के लिए वह तैयार हैं और इस मामले को लेकर जल्‍द ही चिटफंड संबंधी कानून बनाया जाएगा। नुकसान को कम करने की कोशिश के तहत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस डूबी हुई कंपनी के निवेशकों के लिए 500 करोड़ रूपए का राहत कोष बनाने का ऐलान किया। वहीं, आयकर विभाग इस मामले में सभी लेनदेन की जांच करेगी।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद कुणाल घोष ने जिन्होंने हाल ही में एक टेलीविजन चैनल के मालिक शारदा मीडिया ग्रुप के सीईओ के पद से इस्तीफा दिया था और पार्टी सांसद एवं एक बांग्ला दैनिक के संपादक संजय बोस की घुमा फिराकर चर्चा करते हुए ममता ने कहा कि एक पत्रकार को निशाना बनाया जा रहा है। बहुत से पत्रकार हैं। एक चैनल और एक अखबार के बारे में बताने का कोई अर्थ नहीं है। उन्होंने माकपा पर जनता से जुड़े एक मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर तृणमूल कांग्रेस के किसी सांसद ने कोई अपराध किया है तो कानून अपना काम करेगा। संजय बोस ने कहा कि उनके अखबार का चैनल के साथ 2010 में संपादकीय सहयोग प्रदान करने के लिए पेशेवर गठबंधन था, लेकिन शारदा चिटफंड कंपनी अथवा इसकी किसी शाखा से इसका कोई नाता नहीं था।

उधर, पश्चिम बंगाल की चिट फंड कंपनी के मालिक सुदीप्ता सेन ने गिरफ्तारी के बाद ममता बनर्जी की सरकार के कुछ नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सुदीप्तो ने टीएमसी नेताओं पर पैसे मांगने और ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि टीएमसी के 22 नेताओं को उन्होंने पैसे दिए हैं। सुदीप्ता ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता मुझे ब्लैकमेल करते थे। उन्होंने कहा है कि हर नेता को वह प्रत्येक महीने 80 लाख रुपये देते थे। उन्होंने टीएमसी सांसद सुजॉय घोष और कुणाल घोष का नाम लिया है और पैसे लेने के आरोप लगाए हैं। हालांकि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।

उधर, शारदा कंपनी में धोखाधड़ी के शिकार हुए हजारों निवेशकों की ओर से बढ़ते विरोध प्रदर्शन के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को कंपनी के 35 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया। चिटफंड घोटाले को लेकर शारदा ग्रुप के खिलाफ सख्‍त कदम उठाते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने कंपनी के चेयरमैन एवं एमडी सुदीप्‍ता सेन के 36 कारों को जब्‍त कर लिया है। इसके अलावा, कोलकाता के आसपास स्थित शारदा समूह के चार ऑफिस बिल्डिंग को भी जब्‍त कर लिया है। इस बीच, पश्चिम बंगाल सरकार ने एक न्‍यायिक आयोग का गठन किया है, जो सोमवार से निवेशकों की तरफ से शिकायतों को स्‍वीकार करेगी। गौर हो कि शारदा कम्पनी ने हजारों निवेशकों से कथित रूप से धोखाधड़ी की है। शारदा समूह के बंद होने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने चिटफंड कम्पनियों की जांच के लिए विशेष जांच दल के गठन और उच्च स्तरीय जांच की घोषणा की है।

शारदा ग्रुप के अध्यक्ष के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हम नहीं जानते थे कि वह आदमी धोखेबाज है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी और शारदा ग्रुप के बीच कोई रिश्ता नहीं हैं इस बीच सुदिप्त सेन और शारदा के दो अन्य अधिकारियों को लेकर पश्चिम बंगाल पुलिस कोलकाता रवाना हो गई। इन्हें कल जम्मू कश्मीर के गंदेरबल से गिरफ्तार किया गया था और वहां की अदालत से चार दिन का पारगमन रिमांड मिलने के बाद पुलिस इन्हें दिल्ली के रास्ते यहां लाने के लिए लेकर निकल पड़ी। कांग्रेस ने कहा कि घोटाले की सीबीआई जांच होनी चाहिए क्योंकि इसमें तृणमूल कांग्रेस और अन्य पार्टियों के नेताओं के शामिल रहने की खबर है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख प्रदीप भट्टाचार्या ने यहां कहा कि यह कहा जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस नेताओं का एक वर्ग शारादा समूह से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है और उन्होंने उसके हितों की रक्षा की।

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही अन्य पार्टियों के नेताओं के जुड़े होने की भी चर्चा है। उन्होंने हालांकि यह कहते हुए तृणमूल कांग्रेस के किसी भी सांसद का नाम लेने से इनकार कर दिया कि मुझे किसी का नाम नहीं लेना चाहिए जब तक मेरे पास कोई सबूत न हो। सीबीआई जांच होने दीजिए। सचाई बाहर आएगी। माकपा नेता सूर्यकांत मिश्र ने कहा कि उनकी पार्टी का राज्य सरकार की जांच में कोई विश्वास नहीं है। उन्होंने मांग की कि एसएफआईओ, सेबी और आरबीआई के अलावा सीबीआई इसकी जांच करे। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस और शारदा ग्रुप के बीच संबंध के आरोप लगाते हुए दावा किया कि सेन को गिरफ्तारी से पहले काफी समय दिया गया।

मिश्र ने कहा कि यह मानने के लिए कारण है कि सेन द्वारा लिखे गए पत्र को तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने लगभग लिखवाया था। पत्र में अन्य पार्टियों के नेताओं के नामों को जोड़ा गया था ताकि तृणमूल कांग्रेस से ध्यान हटाया जा सके हालांकि इसमें तृणमूल के उन नेताओं के नाम जोड़े गए थे, जिनसे वे छुटकारा पाना चाहते हैं। दूसरी ओर, माकपा पर आरोप लगाते हुए उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि राज्य में चिट फंड कंपनियां वाम मोर्चा के शासन के दौरान पनपीं। उन्होंने कहा कि अब वे मुश्किलें खड़ी करने के लिए सड़कों पर उतर आये हैं और कांग्रेस भी उसमें शामिल हो गई है। तृणमूल कांग्रेस के दो सांसदों के कथित रूप से शामिल रहने के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के महासचिव चटर्जी ने कहा कि हम साहसिक जांच चाहते हैं। इसमें शामिल किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा चाहे वह किसी भी पार्टी का क्यों न हो। तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय ने कहा कि वाम मोर्चा की सरकार के शासन के दौरान चिट फंड कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

राज्य में चिट फंड कंपनियों के पनपने के बारे में पार्टी सांसद सोमेन मित्रा के पत्र पर राय ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखा था और इस संबंध में कार्रवाई उन्हें करनी थी। इस बीच केंद्र ने आज कहा कि चिट फंड व्यापार पर नियंत्रण के मामले में उसकी कोई भूमिका नहीं है और यह राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित होता है। राजधानी दिल्ली में उद्योग मामलों के मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि भारत में चिट फंड कानून 1982 द्वारा नियंत्रित होते हैं। इस कानून के तहत चिट फंड व्यापार संबंधित राज्य सरकारों द्वारा पंजीकृत और नियंत्रित किए जा सकते हैं।

First Published: Wednesday, April 24, 2013, 22:31

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