Last Updated: Sunday, December 18, 2011, 08:08
नई दिल्ली : डेढ़ वर्ष की मशक्कत और कुछ महत्वपूर्ण मसौदों पर स्थाई समिति के रिपोर्ट सौंपे जाने के बावजूद शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल सुधार से जुड़े विधेयक पास नहीं हो पा रहे हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल इससे काफी चिंतित है। उनका कहना है कि इससे शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल सुधार की योजना आगे नहीं बढ़ पा रही है।
उन्होंने कहा, ‘शिक्षा में सुधार से जुड़े 15 से अधिक विधेयक काफी समय से लंबित हैं। यह चिंता का विषय है।’ विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए सिब्बल ने कहा कि लोग चाहते ही नहीं कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार से जुड़े विधेयक पारित हों। उन्होंने कहा कि अगर ये विधेयक पास हो गए तो कांग्रेस को 10-15 वर्ष के लिए कोई हिला नहीं सकेगा।
हालांकि, इनमें से कई ऐसे विधेयक हैं जिनपर उन्हें अपनी पार्टी के सदस्यों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। संसद में जिन अहम विधेयकों को पारित किया जाना हैं उनमें शिक्षा के क्षेत्र में शीर्ष नियामक निकाय गठित किये जाने से जुड़ा विधेयक तथा उच्च शिक्षा से जुड़े तीन अहम विधेयक शामिल हैं।
इन विधेयकों में राष्ट्रीय उच्च शिक्षा एवं शोध परिषद विधेयक 2011 शामिल है। इसमें उच्च शिक्षा में शीर्ष नियामक निकाय गठित किए जाने का प्रस्ताव किया गया है। यह निकाय अन्य कार्यो के अलावा चिकित्सा शोध के क्षेत्र में मानक एवं संवद्धता मापदंड तय करेगा।
इसके अतिरिक्त लंबित महत्वपूर्ण विधेयकों में नवोन्मेषी विश्वविद्यालय विधेयक, 2011 शामिल है । इस विधेयक के माध्यम से देश में 14 नवोन्मेषी विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने का प्रस्ताव है जो उच्च शिक्षा शोध एवं ज्ञान के नये केंद्र होंगे।
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कुछ ही दिन पहले राज्यसभा में कॉपीराइट संशोधन विधेयक सदस्यों के विरोध के कारण रूक गया। शिक्षा सुधार से संबंधित आठ विधेयक पारित कराने के लिए रखे जाने हैं जिसमें शैक्षणिक न्यायाधिकरण विधेयक 2010 भी शामिल है। यह विधेयक लोकसभा में पेश होने के बाद राज्यसभा में नहीं पेश किया जा सका था क्योंकि विपक्ष समेत सत्ताधारी पार्टी के कुछ सदस्यों ने इसका जबर्दस्त विरोध किया था।
लंबित विधेयक में विदेशी शिक्षा प्रदाता विधेयक भी शामिल है जिसके माध्यम से विदेशी शिक्षण संस्थाओं के भारत में परिसर खोलने का मार्ग प्रशस्त होगा। इन विधेयकों के बारे में विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों के विचार जानने के लिए सिब्बल ने सत्र से ठीक पहले उनके साथ बैठकें की थी।
सिब्बल ने इस कवायद के तहत लंबित विधेयकों के संबंध में विचारों का आदान प्रदान किया। संसद में कई मौके ऐसे आए जब सिब्बल को इन विधेयकों के संदर्भ में विपक्ष के अलावा अपनी पार्टी के सांसदों के विरोध का भी सामना करना पड़ा । मंत्री ने सांसदों से इस विषय में विचार विमर्श किया ताकि शीतकालीन सत्र में ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़े। लेकिन हंगामे की वजह से संसद के वर्तमान सत्र का कामकाज काफी हद तक प्रभावित रहा है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के जे डी सलीम ने राष्ट्रीय धरोहर महत्व वाले शिक्षण संस्थाओं में शिक्षकों के पदों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं होने का मुद्दा उस समय उठाया था जब भारतीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, कांचीपुरम विधेयक पर चर्चा हो रही थी। विदेशी शिक्षा प्रदाता विधेयक को कांग्रेस सदस्य के केशव राव के विरोध का सामना करना पड़ा। कॉपीराइट संशोधन विधेयक को जद(यू) के शिवानंद तिवारी और भाजपा के प्रकाश जावड़ेकर के विरोध का सामना करना पड़ा।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, December 18, 2011, 17:25