Last Updated: Wednesday, October 12, 2011, 09:25
जी न्यूज ब्यूरोनर्इ्र दिल्ली :दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रवि कांत शर्मा और दो अन्य को पत्रकार शिवानी भटनागर के सनसनीखेज हत्याकांड से बुधवार को बरी कर दिया। बहरहाल, अदालत ने चौथे आरोपी प्रदीप शर्मा की दोषसिद्धी और उम्रकैद की सजा की पुष्टि की। प्रदीप ने शिवानी की हत्या की थी।
न्यायमूर्ति बीडी. अहमद और न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह की खंडपीठ ने इस हत्याकांड में दोषसिद्धी और सजा के खिलाफ चार आरोपियों की ओर से दायर अपीलों पर फैसला करते हुए कहा, आरोपित आरके शर्मा, श्री भगवान शर्मा और सत्यप्रकाश को शक का लाभ मिला। बहरहाल, हम मामले में प्रदीप शर्मा की दोषसिद्धी की पुष्टि करते हैं। पत्रकार शिवानी भटनागर की हत्या 23 जनवरी 1999 को पूर्वी दिल्ली के आईपी एक्सटेंशन में उनके नवकुंज सोसाइटी के फ्लैट में कर दी गई थी। निचली अदालत ने 24 मार्च 2008 को पूर्व आईपीएस अधिकारी समेत चारों आरोपियों को दोषी ठहराया था। आरके शर्मा एक समय प्रधानमंत्री कार्यालय में ओएसडी के रूप में काम कर चुके थे।
निचली अदालत ने इस सनसनीखेज मामले में सह आरोपी देव प्रकाश शर्मा और वेद उर्फ कालू को बरी कर दिया था। हाईकोर्टने अपनी फैसले में पूर्व आईपीएस अधिकारी समेत चार आरोपितों में से तीन को बरी कर दिया। खंडपीठ ने निचली अदालत में दोषी ठहराए शर्मा और तीन अन्य की अपील पर पिछले साल 21 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। चारों तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे थे।
पूर्व आईपीएस अधिकारी को बरी करने की मांग करते हुए उनके वकील ने दलील दी थी कि टेलीफोन कॉल के रिकार्ड समेत परिस्थितियों की ऋंखला की अनेक कड़ियां गुम हैं। उन्हें फंसाने के लिए रिकार्ड में छेड़छाड़ की गई है। बहरहाल, स्थाई अधिवक्ता (फौजदारी) पवन शर्मा ने बचाव पक्ष की दलीलों का खंडन करते हुए कहा कि आरोपित एक उच्च पद पर था और उसने गवाहों को प्रभावित किया। नतीजतन इस मामले में अभियोजन पक्ष के 43 गवाह मुकर गए। अभियोजन पक्ष के अनुसार पूर्व आईपीएस अधिकारी ने शिवानी को कुछ गोपनीय दस्तावेज दिए थे। शिवानी उन दस्तावेजों को सार्वजनिक करना चाहती थी। इस कारण उसकी हत्या की गई।
First Published: Thursday, October 13, 2011, 11:19