Last Updated: Monday, November 21, 2011, 15:29
नई दिल्ली : संसद के मंगलवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में संप्रग सरकार को घेरने की रणनीति के तहत राजग ने गृह मंत्री पी. चिदंबरम का बहिष्कार करने और महंगाई तथा कालाधन सहित भ्रष्टाचार के विभिन्न मुद्दों पर अन्य विपक्षी दलों से सदन में तालमेल करने का सोमवार को फैसला किया।
राजग के कार्यकारी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी के आवास पर संसद सत्र शुरू होने की पूर्वसंध्या पर इस गठबंधन की हुई बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला किया गया। बैठक की समाप्ति के बाद राज्यसभा में भाजपा के उपनेता एसएस अहलूवालिया ने संवाददाताओं से कहा कि यह फैसला हुआ है कि मंहगाई पर वामदलों के कार्यस्थगन प्रस्ताव नोटिस का राजग समर्थन करेगा जबकि काले धन पर लालकृष्ण आडवाणी के कार्यस्थगन प्रस्ताव के नोटिस का वामदल समर्थन करेंगे।
उन्होंने कहा कि टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में जितने दोषी तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा थे, उतने ही दोषी तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम हैं। प्रधानमंत्री ने अपने सहयोगी दल द्रमुक के राजा का इस्तीफा तो ले लिया लेकिन कांग्रेस के पी. चिदंबरम का इस्तीफा नहीं लिया। राजग ने तय किया है कि वह संसद में चिदंबरम का बहिष्कार करेगा।
अहलूवालिया ने कहा कि हम चिदंबरम को संसद में बोलने की अनुमति नहीं देंगे। पूरा राजग उनका बहिष्कार करेगा। हम चिदंबरम के साथ वही करेंगे जो कांग्रेस ने राजग शासन में जार्ज फर्णांडिस के साथ किया था।
लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में राजग के संयोजक शरद यादव, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली, शिवसेना के मनोहर जोशी एवं अनंत गीते, जदयू के शिवानंद तिवारी और अकाली दल के नरेश गुजराल शामिल थे।
संप्रग सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के सवालों पर अहलूवालिया ने कहा कि कार्यस्थगन प्रस्ताव अपने आप में अविश्वास प्रस्ताव की तरह होता है। हम कार्यस्थन प्रस्ताव ला ही रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या कार्यस्थन प्रस्ताव के बारे में वामदलों के साथ चर्चा हुई है, उन्होंने कहा, ‘बिना चर्चा किए, ऐसे फैसले नहीं होते। यह निश्चित रूप से तालमेल के तहत किया गया है। यह इसलिए भी किया गया है कि कोई एक दल दो कार्यस्थगन प्रस्ताव नहीं पेश कर सकता।’ उन्होंने बताया कि राजग की आज की बैठक में जिन महत्वपूर्ण विषयों पर संसद सत्र के दौरान सरकार को घेरने का निर्णय किया गया, उनमें कपास के उत्पादन में कमी और सही मूल्य नहीं मिलने के कारण आत्महत्या करने की किसानों की मजबूरी तथा उर्वरकों की कालाबाजारी और अनुपलब्धता से किसानों की दिक्कतों के विषय महत्वपूर्ण हैं।
अहलूवालिया ने कहा कि धान की खरीद का विषय भी ऐसा है जिससे किसान काफी परेशान हैं क्योंकि खरीद नहीं होने के कारण धान खराब हो रहा है। संसद सत्र के दौरान खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के विषय को भी उठाया जाएगा।
भाजपा नेता ने कहा कि केंद्र-राज्य संबंध ऐसा विषय है जिसे संसद में प्रमुखता से उठाया जाएगा। केंद्र सरकार अपने कार्यो से संघीय ढांचे पर प्रहार करने का काम कर रही है और गैर कांग्रेस शासित राज्यों के साथ भेदभाव हो रहा है। इस विषय पर हम सरकार को घेरेंगे।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 22, 2011, 11:20