Last Updated: Thursday, December 15, 2011, 08:46
ज़ी न्यूज ब्यूरोनई दिल्ली : लोकपाल विधेयक पर सहमति बनाने के लिए प्रधानमंत्री की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में एक राय नहीं बन पाने की बात को स्वीकार करते हुए संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि सरकार प्रस्तावित विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश कर पाएगी। उन्होंने अन्ना हजारे की उस मांग को भी खारिज कर दिया कि लोकपाल बिल को पारित कराने के लिए संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र की अवधि को बढ़ाया जाए। उन्होंने भ्रष्टाचार निरोधी विधेयक के इसी सत्र में पास किए जाने की उम्मीद जताई।
बंसल ने कहा कि मुझे लगता ऐसा संभव होगा। कल इस विषय पर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी, जिसमें 35 दलों ने हिस्सा लिया। सभी दलों के अलग अलग विचार थे। यह कहना गलत होगा कि सहमति बन गई है। इसके कारण सरकार का काम बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि 35 अलग-अलग विचारों को समाहित करना और इसे सरकार के विचारों से जोड़ना और प्रस्तावित विधेयक में संशोधन करना अहम विषय है। हम इस पर काम कर रहे हैं और हमें विश्वास है कि इसे वर्तमान सत्र में पेश किया जा सकेगा। यह पूछे जाने पर कि संसद के चालू सत्र के समाप्त होने में केवल एक सप्ताह का समय रह गया है, बंसल ने कहा कि हमें कठिन परिश्रम करना होगा और तभी यह संभव हो सकेगा। यहां तक कि हम इसे 20 या 21 दिसंबर तक कर सकते हैं, मैं नहीं समझता कि ऐसा क्यों नहीं होगा। एक दिन एक सदन में और दूसरे दिन दूसरे सदन में इस पर चर्चा कराई जा सकती है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी कुमार ने इस विषय पर कहा कि जैसे ही सभी विचारों और बिंदुओं को समाहित करने का काम पूरा कर लिया जाएगा, प्रस्तावित विधेयक पेश किया जाएगा। इस पर लगातार काम जारी है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने कहा कि समाज शर्तें नहीं थोप सकता। इस विषय में दबाव डालना ठीक नहीं है। लोकपाल विधेयक कब लाया जाएगा, यह संसद तय करेगी। बंसल ने कहा कि लोकपाल के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों के अलग-अलग विचार सामने आए। उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक में आमसहमति नहीं बन सकी। कुछ लोगों का ऐसा विचार था कि हम इस विषय पर इतनी जल्दबाजी क्यों दिखा रहे हैं। हमारा प्रयास दलों के अलग अलग विचारों पर आम सहमति बनाना है।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि कुछ लोगों के विचार थे कि ग्रुप सी के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाया जाना चाहिए जबकि कुछ इस विचार का विरोध कर रहे थे क्योंकि इसके तहत 35 लाख कर्मचारी आते हैं। एक संस्थान इतने लोगों से जुडी शिकायतों का निपटारा कैसे कर पाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार इन सभी पहलुओं पर विचार कर रही है जिसका एकमात्र उद्देश्य यह है कि विधेयक जल्द से जल्द लाया जाए।
यह पूछे जाने पर कि अगर इस सत्र में विधेयक नहीं लाया जा सका तब सरकार का रूख क्या होगा, बंसल ने कहा कि यह प्रश्न अभी नहीं उठता है। यह कहना अभी जल्दबाजी होगी, हम इस पर काम कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर अन्ना हजारे से उनका क्या आग्रह होगा, मंत्री ने कहा कि हम उनसे बात नहीं कर रहे हैं, वह जो कर रहे हैं, वह उनका अधिकार है। लेकिन देश के सम्मानित नागरिक होने के नाते उन्हें समझना चाहिए कि संसद का काम संसद ही कर सकती है।
वहीं, लोकपाल मसले पर कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार का काम बिल लाना है, पास कराना संसद का काम है।
First Published: Friday, December 16, 2011, 09:37