Last Updated: Tuesday, March 19, 2013, 21:58
नई दिल्ली : श्रीलंका में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन पर अमेरिका की ओर से लाये गये प्रस्ताव को श्रीलंका की सरकार की संप्रभुता के प्रति सम्मान के तहत और नर्म बनाया गया है।
गौरतलब है कि इसी प्रस्ताव को और कड़ा करने की मांग पर द्रमुक ने संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया है।
अंतिम प्रस्ताव में दो बड़े बदलाव किये गये हैं। पहला बदलाव यह है कि श्रीलंका में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्र जांच की मांग अब प्रस्ताव के मुख्य लेख में शामिल नहीं है। अब यह इसकी भूमिका का एक हिस्सा है।
दूसरा बड़ा बदलाव किसी विशेष अधिकारी को ‘निर्बाध पहुंच’ देने से संबंधित है। सूत्रों के अनुसार 21 मार्च को पेश होने वाले इस प्रस्ताव पर भारत की ओर से पक्ष या विपक्ष में मत देने पर अंतिम निर्णय राजनैतिक नेतृत्व ही लेगा, लेकिन ये दोनों शर्तें किसी देश की संप्रभुता के अधिकार से संबंधित हैं।
ये बदलाव द्रमुक की मांग के उलट हैं, जिसने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) में पेश इस प्रस्ताव में भारत सरकार की ओर से संशोधन का जोर डालने की मांग की थी। इस प्रस्ताव में ‘जातीय संहार’ शब्द भी शामिल नहीं किया गया है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, March 19, 2013, 21:58