Last Updated: Thursday, March 7, 2013, 15:01
नई दिल्ली : श्रीलंका में तमिलों की दुर्दशा के संबंध में लोकसभा में आज सदस्यों ने गंभीर चिंता जाहिर करते हुए केंद्र सरकार से जानना चाहा कि वह श्रीलंकाई तमिलों को उनके जायज अधिकार दिलाने के लिए खुद के और विश्व के स्तर पर क्या कदम उठा रही है।
लोकसभा में गुरुवार को श्रीलंका में तमिलों की दुर्दशा पर विशेष चर्चा की शुरूआत करते हुए द्रमुक के टीआर बालू ने कहा कि ऐसा भ्रम फैला हुआ है कि भारत सरकार श्रीलंकाई तमिलों के लिए खास कुछ नहीं कर रही है और सरकार अपने कार्यो से इस गलतफहमी को दूर करे।
उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि श्रीलंकाई तमिलों के अधिकारों और उनके मानवाधिकारों की रक्षा के लिए वह ‘न्यूनतम’ क्या करना चाहती है। उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों से श्रीलंका में रह रहे तमिल तबाह हो गए हैं और श्रीलंकाई सेना के आक्रमण में 40 हजार से अधिक तमिलों का नरसंहार हुआ है।
बालू ने कहा कि तमिल भाषा, संस्कृति और नस्ल सबको विलुप्त करने का श्रीलंका में अभियान चल रहा है। इसे रोके जाने की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि श्रीलंकाई सेना द्वारा वहां के तमिलों के खिलाफ चलाए गए युद्ध में 90 हजार तमिल महिलाएं विधवा हुई हं और दो लाख से अधिक लोग लापता हैं। यह पता लगाया जाना चाहिए कि इन दो लाख लोगों का क्या हुआ।
द्रमुक नेता ने कहा कि इसके अलावा श्रीलंकाई सेना और सरकार के दमन के चलते एक लाख 30 हजार से अधिक श्रीलंकाई तमिल अपने देश से पलायन कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि श्रीलंका के तथाकथित महिला सुरक्षा शिविरों में महिलाओं का बुरा हाल है और उनका हर तरह का शोषण किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि श्रीलंकाई तमिल महिलाओं और पुरूषों का यौन शोषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि बोस्नियाई महिलाओं के साथ सर्ब सेना ने जो वीभत्स कृत्य किया था, कुछ वैसा ही श्रीलंकाई सेना अपने यहां की तमिल महिलाओं के साथ कर रही है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, March 7, 2013, 15:01