Last Updated: Monday, February 25, 2013, 14:29

चेन्नई: द्रमुक प्रमुख एम करूणानिधि ने श्रीलंका के एक मंत्री की उस घोषणा पर आपत्ति जताई है जिसमें कहा गया है कि श्रीलंका के मछुआरे अपने भारतीय समकक्षों के खिलाफ रैली निकालेंगे।
इस घोषणा पर आपत्ति जताते हुए करूणानिधि ने कहा कि यह राजपक्षे सरकार की ‘ज्यादतियों’ से ध्यान हटाने की कोलंबों की ‘सुनियोजित रणनीति’ है।
उन्होंने कहा कि परंपरागत उद्योग और लघु उद्यम विकास मंत्री डगलस देवानंद का विरोध की चेतावनी वाला यह बयान ‘राजपक्षे सरकार की उन ज्यादतियों पर से ध्यान हटाने की श्रीलंका की सुनियोजित रणनीति प्रतीत होता है जो धीरे धीरे सामने आ रही हैं।’ पार्टी के एक बयान में करूणानिधि ने कहा ‘मैं मानता हूं कि भारत सरकार को अब यह अहसास होना चाहिए कि देवनंद की टिप्पणियां उकसाते हुए चुनौती देने वाली हैं।’
उन्होंने कहा कि देवानंद छूलइमेडु में 1986 में हुई गोलीबारी के मामले में एक आरोपी हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की पृष्ठभूमि वाला एक व्यक्ति भारतीय मछुआरों और तमिल लोगों के खिलाफ बयान दे रहा है जिसे ‘बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।’ करूणानिधि ने अनुरोध किया कि देवानंद की ‘अहंकारपूर्ण टिप्पणियों’ के मद्देनजर केंद्र और राज्य सरकार को तत्काल समुचित कार्रवाई करनी चाहिए।
देवनंद ने कच्चातीवु में कल सेंट एंथनी चर्च के एक आयोजन में कहा कि श्रीलंका के मछुआरे अपने भारतीय समकक्षों के खिलाफ रैली निकालेंगे। यह रैली भारतीय मछुआरों द्वारा कथित तौर पर उनके मछली पकड़ने वाले जाल छीनने के विरोध में निकाली जाएगी क्योंकि उनका (श्रीलंकाई मछुआरों का) दावा है कि इससे उन्हें असुविधा हो रही है। भारत ने वर्ष 1974 में कच्चातीवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया था। (एजेंसी)
First Published: Monday, February 25, 2013, 14:29