Last Updated: Friday, November 18, 2011, 04:52
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कथित हिरासत में मौत के 21 साल पुराने एक मामले में आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ कार्यवाही को रद्द करने से शुक्रवार को इंकार कर दिया।
न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की पीठ ने गुजरात कैडर के निलंबित आईपीएस अधिकारी भट्ट को राज्य के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ कोई राहत देने से इंकार कर दिया।
उच्च न्यायालय ने भट्ट की अपील को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने जामनगर अदालत में अपने खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का आग्रह किया था।
हिरासत में मौत का मामला 1990 का है जब भट्ट जामनगर में अतिरिक्त अधीक्षक के रूप में तैनात थे। उन्होंने जाम जोधपुर नगर में सांप्रदायिक दंगे के दौरान लगभग 150 लोगों को हिरासत में लिया था । इनमें से एक प्रभुदास वैष्णनी की रिहाई के बाद अस्पताल में मौत हो गई थी।
वैष्णनी के भाई ने तब भट्ट और छह अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराकर आरोप लगाया था कि उन्होंने उसके भाई को हिरासत में प्रताड़ना देकर मार डाला।
हाईकोर्ट ने मामले में भट्ट के 10 अक्तूबर के आग्रह को खारिज करते हुए निचली अदालत को उनके खिलाफ आरोप तय करने की अनुमति दे दी थी।
भट्ट ने अपने आग्रह में जामनगर सत्र अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। अदालत ने राज्य सरकार को हिरासत में मौत से संबंधित मामले में आरोप हटाने के इसके आग्रह को वापस लेने की अनुमति दे दी थी । भट्ट और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप वापस लेने का राज्य सरकार का आग्रह 1996 से लंबित है।
राज्य सरकार ने हालांकि भट्ट के मुकदमे पर स्वीकृति से इंकार कर दिया था।एक मजिस्ट्रेट अदालत ने मामले में समापन रिपोर्ट को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था।
सरकार ने सत्र अदालत में नया आवेदन दायर कर भट्ट और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप वापस लेने का आग्रह किया।
(एजेंसी)
First Published: Friday, November 18, 2011, 15:28