संसद की सर्वोच्चता बनाए रखने का लिया संकल्प - Zee News हिंदी

संसद की सर्वोच्चता बनाए रखने का लिया संकल्प

ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली : संसद की 60वीं वर्षगांठ के मौके पर रविवार को आयोजित विशेष बैठक के दौरान लोकसभा एवं राज्यसभा दोनों सदनों ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को परिवर्तन का एक प्रभावी साधन और लोकतांत्रिक मूल्यों एवं सिद्धांतों को मजबूत बनाने के लिए संसद की गरिमा, पवित्रता एवं सर्वोच्चता को कायम रखने और इसे आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। इस मौके पर आयोजित विशेष बैठक की समाप्ति पर दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया। दोनों सदनों में यह भी कहा गया कि वे संसद की निगरानी में लोगों के प्रति सरकार की जवाबदेही भी बढ़ाएंगे।

 

दोनों सदनों के सदस्यों ने राष्ट्र निर्माण के पवित्र उद्देश्य के प्रति स्वयं को पूरी तरह से समर्पित किया। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने दिन भर चली चर्चा से निकले प्रस्ताव को निम्न सदन में और राज्यसभा के सभापति एम. हामिद अंसारी ने उच्च सदन में पढ़ा। इसके अलावा दोनों सदनों ने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और समाज के पिछड़े एवं दलित वर्गो के उत्थान एवं समानता, बंधुत्व, न्याय का अधिकार देने वाले संविधान निर्माताओं को याद किया।

 

सदस्यों ने लोकतांत्रिक मूल्यों को सजोने वाले और देश की एकता एवं अखंडता के लिए निरंतर काम करने वाले लोगों की परिपक्वता को पूरे मन एवं गर्व के साथ स्वीकार किया। प्रस्तावना में यह भी उल्लेख किया गया कि संसद ने पिछले 60 वर्षो में कानून बनाते हुए समानता एवं न्याय सुनिश्चित कराने की दिशा में और समावेशी समाज बनाने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं।

 

पांच घंटे से अधिक चली चर्चा के बाद लोकसभा में अध्यक्ष मीरा कुमार और राज्यसभा में सभापति हामिद अंसारी ने संसद की गरिमा और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत तथा राष्ट्र निर्माण के लिए प्रतिबद्धता संबंधी प्रस्ताव अपने सदनों में रखे जिन्हें सदस्यों ने सहर्ष स्वीकृति दे दी। बाद में केन्द्रीय कक्ष में विशेष समारोह में संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा कि जीवंत और स्वस्थ लोकतंत्र के रूप में स्थापित होना बड़ी चुनौती है इसलिए सावधानीपूर्वक आगे बढ़ना जरूरी है ताकि भारत एक प्रगतिशील और स्वस्थ लोकतंत्र स्थापित करने के मुख्य लक्ष्य से भटक न जाए।

 

इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ‘हमें उन लोगों को पूरी तरह से नकार देना चाहिए जो दशकों के अनुभव से विकसित हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं का मखौल उड़ाते हैं। हम पूर्ण लोकतंत्र न होकर एक कार्यशील लोकतंत्र हैं, जिसमें ऐसी व्यवस्थाएं और सुरक्षा के उपाय हैं, जो विभिन्न हितों और अलग अलग विचारों में सामंजस्य स्थापित करने में मदद करते हैं। यह हमारे लोकतंत्र की सक्रियता और जीवंतता ही है जो देश को संगठित रखती है और प्रगति की राह पर ले जाती है।’

 

संसद के प्रभुत्व को पुन:स्थापित करने की जरूरत बताते हुए उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि कार्यपालिका की जवाबदेही और निगरानी तथा विचार विमर्श और कानून बनाने के लिहाज से क्षमता में गिरावट की प्रवृत्ति नजर आ रही है। इससे पहले दोनों ही सदनों की विशेष बैठकों में सदस्यों ने कार्यवाही में बार-बार बाधा पहुंचाए जाने पर चिन्ता व्यक्त करते हुए आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता जताई। भ्रष्टाचार और काले धन को लेकर अभियान चला रही टीम अन्ना और बाबा रामदेव के सांसदों पर असंयमित टिप्पणियों का सीधा उल्लेख किए बिना सदस्यों ने कहा कि कानून संसद बनाती है न कि भीड़।

 

मीरा कुमार और अंसारी के साथ ही दोनों सदनों के विपक्ष के नेताओं सहित अनेक सदस्यों ने कहा कि विकृतियों को लोकतंत्र पर प्रहार करके दूर नहीं किया जा सकता। विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों ने इस बात पर गर्व महसूस किया कि भारत में लोकतंत्र कायम है तथा गरीबी, आतंकवाद और पडोसी देशों में लोकतंत्र को लेकर अनिश्चितता के बावजूद भारत दुनिया के लिए बड़ी मिसाल है।

 

लोकसभा में नेता सदन प्रणव मुखर्जी ने कहा कि सदन में कई मुद्दों पर उत्तेजना बढ़ जाती है जिसके कारण कार्यवाही बाधित होती है। इसमें हमारे दल के लोग भी होते हैं और दूसरे दलों के लोग होते हैं। लेकिन अगर कामकाज बाधित होता है तब हम अपनी बात नहीं रख पाते। हमें ऐसी व्यवस्था बनाने की जरूरत है जिससे सदन का कामकाज बाधित नहीं हो।’

 

केन्द्रीय कक्ष के विशेष समारोह में पहली लोकसभा में रहे चार पूर्व सदस्यों को राष्ट्रपति ने सम्मानित किया, जिनमें वर्तमान में राज्यसभा सांसद रिशांग कीशिंग तथा पूर्व सांसद रेशमलाल जांगडे, के मोहना राव और कंदाला सुब्रमण्यम शामिल थे। इस मौके पर प्रतिभा पाटिल ने पांच और दस रुपए के विशेष सिक्के जारी किये तथा लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों द्वारा प्रकाशित आठ पुस्तकों का लोकार्पण किया गया।

 

समारोह के अंत में पंडित शिव कुमार शर्मा और राहुल शर्मा की संतूर जुगलबंदी, हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक उस्ताद इकबाल अहमद खान, नादब्रहमम संगीत मंडली, मशहूर सितार वादक पंडित देबू चौधरी और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक शुभा मुदगल ने अपने गीत संगीत से इस शाम को और यादगार बनाया।

First Published: Monday, May 14, 2012, 09:18

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