Last Updated: Tuesday, November 29, 2011, 06:29
नई दिल्ली : कांग्रेस और एनसीपी छोड़ सभी दलों ने एक स्वर में कहा है कि जब तक सरकार रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का अपना हाल का फैसला वापस नहीं लेती तब तक संसद में कामकाज नहीं होने दिया जाएगा और इस गतिरोध के लिए सरकार ही जिम्मेदार होगी। सरकार की सहयोगी तृणमूल कांग्रेस के सदस्य एवं केन्द्रीय मंत्री सुदीप बंदोपाध्याय ने भी इस निर्णय को वापस लिए जाने की मांग करते हुए कहा कि इसके लिए कोई बहस की भी जरूरत नहीं है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लेकर संसद में जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए आज सरकार की ओर से आहूत बैठक के बाद माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि बैठक में कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका और उनकी पार्टी ने सरकार से साफ कह दिया कि सरकार के इस निर्णय के वापस लेने के बाद ही संसद सुचारु रूप से चल सकेगी और इस दौरान संसद का कामकाज ठप रहने के लिए सरकार ही जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय का न केवल विपक्षी दल बल्कि सरकार के कुछ सहयोगी भी विरोध कर रहे हैं।
येचुरी ने बताया कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बैठक में कहा कि यह निर्णय चूंकि कैबिनेट की बैठक में लिया गया है इसलिए इसे वापस भी कैबिनेट की बैठक में ही लिया जा सकता है। उन्होंने इस बारे में सरकार से कुछ समय देने का आग्रह किया। भाजपा के प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार के इस फैसले से पूरा देश बहुत चिंतित है। ऐसा नहीं है कि इस मामले पर चर्चा संसद में नहीं हो सकती थी लेकिन सरकार तो इसे उपर से थोपने का प्रयास कर रही है।
भाजपा के ही प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जिस बैठक में प्रधानमंत्री ही नहीं आए, उसमें क्या कोई नतीजा निकल सकता है। उन्होंने कहा, ‘सरकार की मंशा ही नहीं है कि सरकार चले।’ सपा प्रवक्ता मोहन सिंह ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि सरकार समझौते के मूड में है क्योंकि सरकार ऐसे विवादास्पद विषय को कम से कम संसद के दौरान तो टाल ही सकती थी लेकिन उसने पूरे देश और विपक्ष को चुनौती देते हुए यह निर्णय किया।’
विपक्षी दलों के इस बैठक को बेनतीजा बताए जाने के विपरीत संसदीय कार्य मंत्री राजीव शुक्ला ने दावा किया है कि इसे बिल्कुल बेनतीजा कहना गलत है। उन्होंने कहा, ‘यह कहना ठीक नहीं है कि बैठक बिल्कुल बेनतीजा रही। यह बैठक सभी दलों की राय जानने के लिए आहूत की गई थी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बैठक में सभी दलों के विचार सुने और वे अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इससे अवगत कराएंगे। यही लोकतंत्र का हिस्सा है।’
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 29, 2011, 14:27