Last Updated: Wednesday, December 21, 2011, 08:13
नई दिल्ली : सरकार के हर प्रयास के बावजूद संसद के सुचारू रूप से कामकाज करने में विफल रहने और बार-बार के व्यवधान पर अफसोस जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद को राष्ट्र निर्माताओं के सपनों के अनुरूप चलाने के लिए सभी दलों से रचनात्मक सहयोग मांगा।
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को के.करुणाकरन पुरस्कार प्रदान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे हर संभव प्रयास के बावजूद संसद सुचारू रूप से नहीं चल रही है। मैं कहना चाहूंगा कि यह केवल सत्तारुढ़ दल की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि सभी दलों को सदन चलाने में रचनात्मक सहयोग देना चाहिए। हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने जिन आदर्शों और भूमिका के लिए इसकी परिकल्पना की थी, हमें उन आदर्शों पर खरा उतरने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
संसद की कार्यवाही में बार-बार के व्यवधान की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी आई है। व्यवधान के कारण संसद सुचारू रूप से कामकाज नहीं कर पा रही है। हंगामे के कारण सदन के बार-बार स्थगित होने के चलते संसद के शीतकालीन सत्र का अधिकतर समय जाया चला गया है। सिंह ने इस मौके पर मुखर्जी की तारीफ करते हुए कहा, ‘राजनीति में आज ऐसे गिने चुने ही व्यक्ति हैं जो जनसेवा का उनके (मुखर्जी) जैसा लंबा और उल्लेखनीय रिकार्ड रखते हों।’
मुखर्जी को केरल के पूर्व मुख्यमंत्री के करुणाकरन के समकक्ष बताते हुए उन्होंने कहा, ‘जो भी उन्हें जानते हैं वे उनके व्यापक ज्ञान, अद्भुत स्मरणशक्ति तथा कड़ी मेहनत के जज्बे से परिचित होंगे। जो बात पता नहीं है, वह यह है कि मुखर्जी बहुत अधिक अध्ययन करते हैं और इतिहास, कला तथा संस्कृति से इन्हें बहुत अधिक प्रेम है और बंगाली मिठाइयां उनकी कमजोरी हैं।’
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, December 21, 2011, 13:43