Last Updated: Monday, December 3, 2012, 20:26
नई दिल्ली : खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का पुरजोर विरोध कर रहे वाम दलों ने आज कहा कि केवल संसद में मत विभाजन से ही इस मुद्दे पर संप्रग सरकार के साथ संघर्ष खत्म नहीं होगा बल्कि यह लडाई तब तक सडकों पर जारी रहेगी, जब तक एफडीआई पर नीति को वापस नहीं ले लिया जाता।
वाम दलों ने सपा और बसपा की भी आलोचना की, जिन्होंने अभी तक एफडीआई को लेकर होने वाले मत विभाजन के बारे में रूख स्पष्ट नहीं किया है। वाम दलों का आरोप है कि लगता है ‘थोक कारोबार’ के जरिए सरकार ने वोटों की व्यवस्था कर ली है।
मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के खिलाफ आयोजित एक सम्मेलन में चारों वाम दलों के नेताओं ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले संप्रग से कहा कि वह विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून (फेमा) में संशोधनों को लेकर एक अन्य दौर का संघर्ष झेलने के लिए तैयार रहे।
माकपा महासचिव प्रकाश कारात ने कहा कि संसद में मत विभाजन के साथ ही यह मुद्दा समाप्त नहीं होगा। एफडीआई नीति का विरोध सभी विपक्षी दल कर रहे हैं। यहां तक कि संप्रग के ही कुछ सहयोगी इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ नहीं हैं।
भाकपा महासचिव ए बी बर्धन ने एक कदम और आगे की बात करते हुए कहा कि संसद में वोट जीतने के लिए देखिये सरकार कितने लोगों को खरीदेगी। इस संबंध में सपा और बसपा की ओर से कोई साफ बात नहीं किये जाने पर बर्धन ने उनकी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सपा और बसपा संसद के बाहर एफडीआई का विरोध करते हैं लेकिन इसे लेकर मतदान के बारे में स्पष्टता नहीं बरत रहे हैं।
बर्धन ने कहा कि देखते हैं कि मुलायम और मायावती क्या करते हैं। मायावती कहती हैं कि वह नीति के खिलाफ हैं। मुलायम इस मुद्दे पर हुए प्रदर्शन में हमारे (बर्धन के) साथ जेल भी गये। अब हम देख सकेंगे कि वे (मुलायम-माया) क्या करते हैं । माकपा पोलितब्यूरो सदस्य सीताराम येचुरी ने मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के खिलाफ सम्मेलन में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संप्रग पर प्रहार करते हुए कहा कि संसद की कार्यवाही में पांच दिन तक बाधा पड़ने के लिए सरकार जिम्मेदार है क्योंकि सरकार इतने दिनों एफडीआई पर मत विभाजन वाले नियम के तहत चर्चा कराने से भागती रही।
उन्होंने कहा कि हमने एफडीआई पर मत विभाजन वाले नियम के तहत चर्चा की मांग की थी। पांच दिन तक सरकार ने हमारी बात नहीं मानी । सरकार ने संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी। पांच दिन कार्यवाही में बाधा के लिए सरकार जिम्मेदार है।
येचुरी ने कहा कि सरकार ने पांच दिन बाद यह मांग स्वीकार की। उसे मतों की व्यवस्था करने के लिए पांच दिन चाहिए थे। हमारे साथ एफडीआई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में सडकों पर उतरे सपा, तेदेपा और जद-एस जैसे दल यदि एफडीआई के खिलाफ मतदान करें तो सरकार परास्त हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि एफडीआई का विरोध करने वाले सपा या बसपा यदि मत विभाजन के समय अनुपस्थित रहते हैं या फिर सरकार के पक्ष में मतदान करते हैं तो सरकार विजयी होगी।
झामुमो रिश्वत कांड और वोट के बदले नोट मामले का जिक्र करते हुए येचुरी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस को पता है कि मत कैसे अपने पक्ष में किये जाते हैं। कारोबार हो रहा है। शायद थोक कारोबार हो रहा है। कांग्रेस को इसका अनुभव है। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, जद-एस नेता एच डी देवगौडा और तेदेपा नेता एन चंद्रबाबू नायडू ने खुदरा एफडीआई के खिलाफ हुए प्रदर्शन में वाम नेताओं के साथ गिरफ्तारी दी थी।
येचुरी ने कहा कि राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है और वह वहां हार सकती है। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि यही वह पार्टी है जो अविश्वास प्रस्ताव लायी लेकिन बाद में सर्वदलीय बैठक में कहा कि एफडीआई पर वोटिंग के लिए वह दबाव नहीं डालेगी। ‘‘ पार्टियों को इस मुद्दे पर ईमानदारी से वोट करना चाहिए। येचुरी ने संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ की इस बात को फिजूल बताया कि एफडीआई पर मत विभाजन में केवल एक ही सदन में विजयी होना है। उन्होंने कहा कि वाम दल कमलनाथ की इस बात को नहीं मानते। दोनों ही सदनों में सरकार को जीतना होगा। (एजेंसी)
First Published: Monday, December 3, 2012, 20:26