Last Updated: Wednesday, August 22, 2012, 00:20

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला मंगलवार को उस समय एक विवाद में फंस गए जब राज्यसभा में जब विपक्ष के निजी कंपनियों को कोयला आंवटन पर कैग रिपोर्ट को लेकर शोर शराबा करने के दौरान उन्हें राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन से सदन की कार्यवाही स्थगित करने के लिए कहते हुए सुना गया। राज्यसभा के उपसभापति निर्वाचित कुरियन के आसन पर बैठते ही विपक्षी सदस्यों ने प्रधानमंत्री और सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
शोर शराबे के बीच संसदीय कार्य राज्य मंत्री शुक्ला पीठासीन अधिकारी के पास गए और उनके कान में फुसफुसाते हुए कहा कि पूरे दिन के लिए सदन स्थगित कर दीजिए। उनकी यह फुसफुसाहट कुरियन के माइक की जद में आ गई और यह सबको सुनाई पड़ गई। उसके बाद ही सदन दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया।
महत्वपूर्ण बात है कि महज कुछ मिनट पहले उपसभापति के रूप में अपने पद पर आसीन होने पर कुरियन ने कहा था कि वह सदन को चलाने में सभी सदस्यों के विचारों पर ध्यान देंगे। शुक्ला के इस परामर्श की आलोचना करते हुए भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावेडकर ने कहा कि इससे संसद को बाधित करने और उसे काम नहीं करने देने की कांग्रेस की साजिश का खुलासा हो गया है।
जावेडकर ने कहा कि कांग्रेस दोमुंही बातें कर रही है, एक तरफ तो वह पीठासीन अधिकारी से सदन स्थगित करने को कहती है, और दूसरी तरफ वह भाजपा को व्यवधान पैदा करने के लिए जिम्मेदार ठहराती है। उन्होंने कहा कि वे (कांग्रेस के नेता) बुरी तरह बेनकाब हो गए हैं और उन्हें सदन चलाने में दिलचस्पी नहीं है। पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप ने यह कहते हुए शुक्ला के आचरण को अमान्य करार दिया, किसी भी सदस्य के लिए यह अमर्यादापूर्ण है कि वह पीठासीन अधिकारी के आसन तक जाए और उन्हें सलाह दे। सदस्यों या मंत्रियों को अपनी सीट से बोलना चाहिए।
हालांकि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने कहा कि हो सकता है कि शुक्ला ने सुझाव दिया हो जो पीठासीन अधिकारी के लिए बाध्यकारी नहीं था। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, August 21, 2012, 20:49