Last Updated: Sunday, March 4, 2012, 07:23
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से अलग करने के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है और कहा कि यह निर्णय गृह, कानून एवं परिवार कल्याण केंद्रीय मंत्रियों के मंत्री समूह ने जुलाई 2009 में ही किया था ।
सुप्रीम कोर्ट ने 28 फरवरी को केंद्र को इस मामले में लताड़ लगाई थी जिसके बाद यह हलफनामा दायर किया गया । केंद्र ने इससे पहले मुद्दे पर विपरीत रुख अपना रखा था ।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने 28 फरवरी को अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल मोहन जैन से कहा कि मामले में विपरीत रुख अपनाकर प्रणाली का मजाक नहीं बनाएं । वकील ने कहा था कि दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में कोई वैधानिक खामी नहीं है जिसने 2009 में ही समलैंगिक संबंधों को अपराधमुक्त घोषित कर दिया था ।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से उपस्थित होते हुए जैन ने अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल पीपी मल्होत्रा के तर्कों के विरोध में पक्ष रखा जिन्होंने गृह मंत्रालय की ओर से उपस्थित होते हुए समलैंगिक संबंधों को अपराधमुक्त करने का विरोध किया था ।
केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया कि 28 जुलाई 2009 को मंत्री समूह की बैठक में कैबिनेट को अनुशंसा की गई कि सरकार की ओर से ऐसा विचार उच्चतम न्यायालय में रखा जाएगा । हलफनामे में कहा गया, ‘उच्च न्यायालय ने आईपीसी की धारा 377 के पूरे अनुच्छेद को खारिज नहीं किया । उच्च न्यायालय ने आईपीसी की धारा 377 की व्याख्या की है ताकि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के मुताबिक रहे ।’
इसमें कहा गया, ‘फैसले की सत्यता को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई ।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘सरकार उच्चतम न्यायालय में कह सकती है कि फैसले में कोई वैधानिक खामी नहीं है और उच्चतम न्यायालय अंतिम फैसला कर सकता है कि ‘क्या उच्च न्यायालय का फैसला सही है या नहीं’ ।’
गृह मंत्रालय के अनुसार जीओएम की अनुशंसा को कैबिनेट ने स्वीकार कर लिया और एक जुलाई 2009 को हुई इसकी बैठक में ‘भारत के अटार्नी जनरल से आग्रह करने का निर्णय किया किया गया कि दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले की सत्यता पर उच्चतम न्यायालय को अंतिम निर्णय लेने में वह मदद करें ।’ हलफनामे में कहा गया है, ‘कैबिनेट के निर्णय से भारत के अटार्नी जनरल को 29 सितम्बर 2009 को अवगत करा दिया गया ।’
(एजेंसी)
First Published: Monday, March 5, 2012, 15:33