Last Updated: Wednesday, October 2, 2013, 21:00

नई दिल्ली : कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की तीखी आलोचना के बाद केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दोषी जनप्रतिनिधियों पर विवादास्पद अध्यादेश को लेकर बढ़ते दबाव के बीच इस अध्यादेश को तथा इससे संबंधित एक विधेयक को भी बुधवार को वापस लेने का फैसला किया।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में करीब 20 मिनट चली बैठक में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अपने ही 24 सितंबर के निर्णय को बदल दिया जिसमें दोषी सांसदों-विधायकों को तत्काल सदस्यता समाप्त होने से संरक्षण प्रदान किया गया था।
मंत्रिमंडल के फैसले में इस बदलाव को सरकार को अपना निर्णय बदलने के लिए मजबूर होने के दुर्लभ वाकये के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पहले सत्तारूढ़ पार्टी और मंत्रिपरिषद में विरोध के स्वर के बीच विचार विमर्श के बाद अध्यादेश को मंजूरी दी गयी थी। मंत्रिमंडल का यह फैसला राहुल गांधी द्वारा अध्यादेश को ‘पूरी तरह बकवास’ करार दिये जाने के बाद उठे विवाद को समाप्त करने के लिए आज कांग्रेस पार्टी, सहयोगी दलों और सरकार में सर्वोच्च स्तर पर दिन भर हुई माथापच्ची के बाद आया।
इस लिहाज से हुए घटनाक्रम में राहुल गांधी की प्रधानमंत्री से मुलाकात और उसके बाद सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक शामिल हैं।
सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय किया कि जन प्रतिनिधित्व कानून के कुछ पहलुओं से संबंधित अध्यादेश और साथ ही साथ विधेयक को वापस लिया जाएगा।
तिवारी ने दावा किया कि फैसले को इसलिए पलटा गया क्योंकि सरकार जनता की भावनाओं के प्रति संवेदनशील है और उसका स्वभाव अड़ियल नहीं है। समझा जाता है कि बैठक में राकांपा नेता शरद पवार ने कैबिनेट के फैसले को पलटने से पहले के घटनाक्रम पर अप्रसन्नता जताई। एक तरह से उनका इशारा राहुल गांधी की सार्वजनिक नाराजगी से था।
पवार का मानना है कि दोषी सांसदों की सदस्यता समाप्त करने के लिए उच्चतम न्यायालय के 10 जुलाई के आदेश को पलटने का फैसला लेने में संस्थाओं की अनदेखी की गयी। संप्रग के एक और सहयोगी दल नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने भी सार्वजनिक रूप से राहुल द्वारा सरकार की निंदा से इत्तेफाक नहीं जताया।
मंत्रिमंडल का का फैसला राहुल गांधी के उस सार्वजनिक बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कैबिनेट द्वारा मंजूर किये गये अध्यादेश पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि यह अध्यादेश बकवास है और इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए। मंत्रिमंडल की ओर से मंजूरी से पहले पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई वाले कांग्रेस कोर समूह ने इस पर मुहर लगाई थी।
राहुल ने अपने बयान में कहा था कि सरकार गलत है। इसके बाद भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर डाली और कहा कि उनके अधिकारों को कमतर किया गया है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 2, 2013, 18:16