सरकार ने मानी जनसत्‍याग्रहियों की मांगें, आंदोलन हुआ खत्‍म

सरकार ने मानी जनसत्‍याग्रहियों की मांगें, आंदोलन हुआ खत्‍म

सरकार ने मानी जनसत्‍याग्रहियों की मांगें, आंदोलन हुआ खत्‍मज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो

नई दिल्‍ली/आगरा : केंद्र सरकार ने गुरुवार को जनसत्‍याग्रहियों की मांगें मान ली हैं। इसके बाद जल, जमीन, जंगल सत्याग्रह समाप्ति की घोषणा कर दी गई। सरकार और जनसत्‍याग्रहियों के बीच कुल दस मांगों पर समझौता हुआ है।

इसमें राष्‍ट्रीय भूमि सुधार नीति, फास्‍ट ट्रैक कोर्ट पर भी समझौता हुआ है और अब भूमिहीनों को जमीन मिलेगी। इस आंदोलन के खत्‍म होती ही सत्‍याग्रहियों का दिल्‍ली मार्च अब समाप्‍त हो गया है।

ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने आज जनसत्याग्रह कर रहे कार्यकर्ताओं से भेंट की और राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनाने की उनकी मांग पर सहमति व्यक्त की। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजधानी की ओर आंदोलनकारियों का मार्च रोक दिया गया।

रमेश के जन सत्याग्रह के नेता पी वी राजगोपाल से मिलकर भूमि सुधार नीति लाने और देश के भूमि विहीन लोगों की समस्याओं पर ध्यान देने संबन्धी एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद गत दो अक्‍टूबर को ग्वालियर से शुरू हुआ यह मार्च रोक दिया गया। रमेश ने कहा कि अगर हम मसौदा नीति पेश करने में विफल रहते हैं तो राजगोपाल को अपना आंदोलन फिर शुरू करने का पूरा अधिकार है। उन्होंने हजारों भूमिहीन गरीबों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार निर्धारित समय सीमा में भूमि सुधार नीति का मसौदा लाने को प्रतिबद्ध है।

राजगोपाल ने कहा कि ‘अगर छह माह में कुछ नहीं होता है तो हम यहीं आगरा में जुटेंगे और दिल्ली के लिये कूच कर देंगे। इस संबन्ध में काम करने के लिये ग्रामीण विकास मंत्री के अधीन एक कार्यबल गठित किया जायेगा जिसकी पहली बैठक 17 अक्‍टूबर को होगी। रमेश ने माना कि भूमि सुधार हालांकि संविधान के तहत राज्यों का मामला है लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति की घोषणा का अपना ही महत्व होगा।

समझौते के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय तुरंत राज्यों से बातचीत शुरू करेगा और अगले चार छह माह में भूमि सुधार नीति का एक मसौदा तैयार कर लेगा जिसे सार्वजनिक बहस के लिये पेश किया जाएगा और उसके बाद इसे जल्दी ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा। सरकार राजस्व एवं न्यायिक अदालतों में लंबित मामलों को जल्दी से जल्दी निपटाने के लिए त्वरित भूमि पंचाट बनाने की मांग पर भी सहमत हो गई है। समझौते के अनुसार कमजोर तबके खासकर दलित एवं आदिवासी वर्ग के उन सभी लोगों को कानूनी सहायता दी जाएगी जिनकी भूमि को लेकर विवाद लंबित हैं।

राज्य सरकारों के विचार जानने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय अगले दो माह में विस्तृत परामर्श जारी करेगा ताकि वे दलितों एवं आदिवासियों के अधिकारों से संबन्धित कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन पर ध्यान केन्द्रित कर सकें। समझौते में कहा गया है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय परामशरें के जरिये राज्य सरकारों को समझाने का प्रयास करने के साथ ही इस बात के लिए उनका समर्थन करेगा कि वह हाशिये पर रहने वाले विशिष्ट श्रेणी के वंचित एवं भूमिहीन किसानों को भूमि की पहुंच मुहैया कराने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम शुरू करें। अनुसूचित क्षेत्र में वन अधिकार कानून (एफआरए) पंचायत विस्तार प्रभावी रूप से लागू करने के लिए सरकार राज्यों और संबंधित विभाग एवं मंत्रालयों के साथ विस्तृत सलाह मशविरा करने को सहमत हुई।

सरकार इसके साथ ही भूमि सुधारों पर कार्यबल गठित करने को सहमत हुई जिसका प्रतिनिधित्व विभिन्न राज्यों के अधिकारियों और विभिन्न नागरिक अधिकार संगठनों के सदस्यों द्वारा किया जाएगा।
समझौते में इस बात पर सहमति हुई कि, ग्रामीण विकास मंत्रालय उपरोक्त एजेंडे के क्रियान्वयन के लिए तत्काल (एक सप्ताह के भीतर) भूमि सुधार पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के नेतृत्व में एक कार्यबल का गठन करेगा। कार्यबल के सदस्यों में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, भूमि सुधारों पर कार्य करने वाले सिविल सोसाइटी संगठनों और संबंधित हितधारकों के प्रतिनिधि होंगे।

First Published: Thursday, October 11, 2012, 12:50

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