सरकार संसदीय समिति को भेजेगी वर्मा समिति की सिफारिशें

सरकार संसदीय समिति को भेजेगी वर्मा समिति की सिफारिशें

सरकार संसदीय समिति को भेजेगी वर्मा समिति की सिफारिशें नई दिल्ली : सरकार न्यायमूर्ति वर्मा समिति की सिफारिशों को जल्द ही विचार के लिए संसद की एक समिति के पास भेजेगी । वर्मा समिति ने आपराधिक कानूनों में व्यापक बदलाव के प्रस्ताव किये हैं ।

सूत्रों ने बताया कि भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस वर्मा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने कई ऐसे सुझाव दिए हैं जो आपराधिक कानून संशोधन विधेयक 2012 में पहले से ही शामिल हैं । यह विधेयक संसद में शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किया गया था ।

गृह मंत्रालय वर्मा समिति की रपट का अध्ययन कर रहा है और जो भी नयी सिफारिशें पायी गयीं, उन्हें चिन्हित कर गृह मामलों की संसद की स्थायी समिति के विचारार्थ भेजा जाएगा ।

भाजपा नेता एम वेंकैया नायडू की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति ने पिछले सप्ताह गृह मंत्रालय से आग्रह किया था कि वर्मा समिति की रपट उसे भेजी जाए क्योंकि वह सिफारिशों को देखना चाहती है और यह भी देखना चाहती है कि आपराधिक कानून संशोधन विधेयक में ताजा सिफारिशों को शामिल किया जा सकता है या नहीं । समिति इस समय विधेयक पर विचार कर रही है ।

सूत्रों ने हालांकि कहा कि गृह मंत्रालय ने प्रस्तावित संशोधनों को संसद में पेश करने के लिए कोई समयसीमा नहीं तय की है ।

वर्मा समिति ने बलात्कार के लिए सजा बढाकर 20 साल तक के कारावास और सामूहिक बलात्कार के लिए आजीवन कारावास (स्वाभाविक मौत तक) की सजा की सिफारिश की है लेकिन मौत की सजा का सुझाव देने से समिति बची । समिति ने कल ही सरकार को अपनी 630 पृष्ठ की रपट सौंपी है । इसमें बलात्कारियों के लिए अधिक कडे दंडात्मक प्रावधान के लिए आपराधिक कानून में संशोधन का सुझाव दिया गया है ।

दिल्ली में 23 साल की छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार के सप्ताह भर बाद 23 दिसंबर को तीन सदस्यीय समिति का गठन केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने किया था । सामूहिक बलात्कार की इस घटना की पूरे देश में जबर्दस्त प्रतिक्रिया हुई और नाराज लोग सडकों पर उतर आये । महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अपराध रोकने के लिए कानूनों में बदलाव की मांग तेज हुई ।

समिति में हिमाचल प्रदेश की पूर्व मुख्य न्यायाधीश लीला सेठ और पूर्व सालिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम भी शामिल थे । आज इसने अपनी रपट सरकार को सौंप दी ।

समिति ने सिफारिश की है कि किसी व्यक्ति को जानबूझ कर छूना और वह छूना यौन प्रकृति का हो और जिसे छुआ जा रहा है, उसकी सहमति के विरूद्ध हो तो कानून में उसे यौन हिंसा माना जाना चाहिए । समिति ने किसी के लिए धमकी भरे शब्द या भाव भंगिमा, किसी लडकी का पीछा करना, मानव तस्करी और यौन इच्छा के चलते घूरने सहित कई नये तरह के आपराधिक कृत्यों को लेकर सजा का प्रस्ताव किया है ।

किसी महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से उस पर हमला करने की स्थिति में तीन से सात साल की सजा का प्रस्ताव समिति ने किया है । (एजेंसी)

First Published: Thursday, January 24, 2013, 15:47

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