Last Updated: Wednesday, August 31, 2011, 05:14
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सरकार को अन्ना हजारे जैसे विरोध प्रदर्शनों का सामना करने की अप्रत्यक्ष चेतावनी देते हुए इस आलोचना को लेकर नाराजगी जताई कि न्यायपालिका का स्तर हाल के समय में गिर गया है. न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब वह एक विवाद में पर्याप्त विवरण मुहैया करा पाने में असफलता को लेकर सरकार से नाराज हो उठे.पीठ ने अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल पीपी मल्होत्रा से कहा कि सरकार के बारे में क्या कहा जाए? उनके अधिकारी वकीलों को उचित सूचना और जानकारियां नहीं देते. अदालत ने कहा कि दस साल और बीत जाने दीजिए, लोग आपको सबक सिखा देंगे. तीन दिन पहले ही आप इसे देख चुके हैं. इससे भी खराब हालत होगी. मालूम हो कि कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की अध्यक्षता वाली कार्मिक, जन शिकायत, विधि और न्याय मामलों की स्थायी समिति की रिपोर्ट ने न्यायपालिका को साफ-सुथरा और निष्पक्ष रखने के लिए सख्त प्रावधान सुझाए हैं. समिति ने सिफारिश की है कि न्यायाधीशों को मुकदमों की सुनवाई करते समय संवैधानिक-वैधानिक निकायों, संस्थाओं या व्यक्तियों के खिलाफ अनधिकृत टिप्पणियां करने से रोका जाना चाहिए. हालांकि सिंघवी ने सफाई दी कि हमने कहीं भी यह नहीं कहा है कि न्यायाधीश अपने निर्णय में ऐसा कुछ नहीं लिख सकते. वे निर्णय में सर्वोच्च से लेकर निचले स्तर के निकायों-व्यक्तियों के बारे में कुछ भी टिप्पणियां कर सकते हैं, लेकिन खुली अदालतों में उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए प्रावधान बनाने की जरूरत है.
First Published: Wednesday, August 31, 2011, 11:09