Last Updated: Friday, August 2, 2013, 23:21
नई दिल्ली : किराए की कोख (सरोगेसी) और एसिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) क्लीनिक्स के तेजी से बढ़ते कारोबार का नियमन करने के लिए नया विधेयक लाने को उत्सुक स्वास्थ्य शोध विभाग ने आज कहा कि प्रस्तावित कानून पर पुनर्विचार करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
सभी पक्षों के साथ चर्चा के बाद तैयार विधेयक को व्यापक कानून बताते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में स्वास्थ्य शोध विभाग शीघ्र इस संबंध में कानून बनाना चाहता है। किराए की कोख के लिए नियमन तैयार करने के अतिरिक्त एसिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (नियमन) विधेयक का मसौदा विभिन्न मंत्रालयों को वितरित किया गया है जिसमें देशभर में एआरटी क्लिनिक और बैंकों का नियमन करने की मांग की गई है और उनके लिए राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनाने का प्रस्ताव है, जो सेंट्रल डाटा बैंक होगा।
विभाग ने जल्द विधेयक को कानून का रूप देने की मांग की गई है। उसने कहा कि चर्चा करने और विभिन्न पक्षों से सुझाव मांगने में काफी वक्त गुजर गया है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘फिलहाल, मसौदा एआरटी (नियमन) विधेयक पर गौर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग में विशेषज्ञ समिति के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘एआरटी क्लिनिक्स और किराए की कोख का नियमन करने के लिए तत्काल कानून की आवश्यकता है। यह बेहद महत्वपूर्ण विधेयक है और संसद में हम इसे पेश करने को लेकर बेहद गंभीर हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Friday, August 2, 2013, 23:21