सर्वदलीय बैठक में ‘राइट टू रिकॉल’ पर चर्चा संभव - Zee News हिंदी

सर्वदलीय बैठक में ‘राइट टू रिकॉल’ पर चर्चा संभव



नई दिल्‍ली : चुनाव आयोग की ओर से ‘राइट टू रिकॉल’ के विचार को खारिज किए जाने के एक दिन बाद केंद्रीय विधि एवं कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने सोमवार को कहा कि सरकार टीम अन्‍ना के प्रस्ताव पर विचार कर रही है और चुनाव सुधार पर सर्वदलीय विचार-विमर्श के दौरान यह बात सामने आ सकती है। खुर्शीद ने कहा कि निर्वाचित सांसदों को वापस बुलाने की मांग एक कठिन कार्य है, लेकिन सरकार इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

 

‘भारत और इंडिया: चुनौतियां और आकांक्षाएं’ विषय पर एक समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कह कि ‘राइट टू रिजेक्ट’ को पेश करने के विषय में एक मजबूत लॉबी हमसे प्रश्न कर रही है। खुर्शीद ने कहा कि अमेरिका और यूरोप में कुछ क्षेत्रों में ‘राइट टू रिकॉल’ से प्रेरित होकर कुछ लोग ऐसे प्रावधानों की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे क्षेत्र में जहां 15 लाख मतदाता हों, वहां राइट टू रिकॉल के लिए एक लाख या 50 हजार मतदाताओं के हस्ताक्षर को सत्यापित करना आसान काम नहीं है। लेकिन हम इस पर विचार कर रहे हैं।

 

विधि मंत्री ने कहा कि मंत्रालय ने इस विषय पर नोट तैयार किया है। खुर्शीद ने कहा कि हमने इस विषय पर कागजात रखे हैं। इस विषय पर हमारी चुनाव आयुक्त से चर्चा हुई है। उन्होंने (चुनाव आयुक्त) मीडिया से बातचीत में कुछ कहा है और आपत्ति व्यक्त की है, लेकिन इस विषय को सर्वदलीय विचार विमर्श के दौरान रखेंगे। विभिन्न दलों के नेताओं की उपलब्धता को ध्यान में रखने के बाद सर्वदलीय बैठक इस महीने या नवंबर में हो सकती है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस बैठक को संबोधित कर सकते हैं।

 

चुनाव सुधार की मांगों के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कल कहा था कि वह लोगों को निर्वाचित प्रतिनिधियों को ‘नामंजूर करने’ : राइट टू रिजेक्ट या उन्हें ‘वापस बुलाने’ : राइट टू रिकॉल का अधिकार देने के पक्ष में नहीं है क्योंकि इस तरह के नियम देश को अस्थिर कर देंगे। कई विकसित देशों में मौजूदा जनप्रतिनिधियों को ‘वापस बुलाए जाने के अधिकार’ जैसे प्रस्ताव का विरोध करते हुए कुरैशी ने कहा था कि भारत के आकार को देखते हुए यहां यह काम नहीं करेगा। उन्होंने कहा था कि मतदान में वापस बुलाने का अधिकार शामिल होने से इसका दुरुपयोग राजनीतिक मकसद से हो सकता है और खासतौर पर कश्मीर व पूर्वोत्तर के प्रदेशों में हो सकता है, जहां लोग पहले ही खुद को अलग-थलग महसूस करते हैं।

(एजेंसी)

First Published: Monday, October 17, 2011, 19:06

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