`सलेम केस में भारत को कोई अधिकार नहीं`

`सलेम केस में भारत को कोई अधिकार नहीं`

`सलेम केस में भारत को कोई अधिकार नहीं`नई दिल्ली: पुर्तगाल के सर्वोच्च न्यायालय ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम का प्रत्यर्पण रद्द करने के आदेश को चुनौती देने के भारत के अधिकार सवाल उठाते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी है।

वर्ष 1993 मुंबई हमलों के आरोपी अबू सलेम को 11 नवंबर 2005 को उसकी प्रेमिका मोनिका बेदी के साथ पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था । मुंबई हमले में 250 लोग मारे गए थे । पुर्तगाल में सलेम को 2002 में गिरफ्तार किया गया था ।

एजेंसी सूत्रों ने बताया कि वे इस स्थिति से निबटने के लिए कानूनी विकल्पों पर विचार करेंगे लेकिन फिलहाल तो सलेम को वापस भेजे जाने की संभावनाएं बेहद कम हैं ।

अपने हालिया आदेश में पुर्तगाल के संवैधानिक न्यायालय ने कहा है कि भारत इस वर्ष के आरंभ में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्वत: संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत में नहीं जा सकता है ।

सीबीआई प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि न्यायालय के आदेश को पढ़ा जा रहा है और अन्य कानूनी विकल्पों की संभावना तलाशी जा रही है।

प्रवक्ता ने बयान में कहा है, ‘वर्ष 1993 मुंबई विस्फोट के अलावा अबू सलेम विभिन्न जघन्य अपराधों का भी आरोपी है जिनकी जांच देश की अन्य जांच एजेंसियों ने की है । इन मामलों की सुनवाई विभिन्न स्तरों पर चल रही है । मुंबई हमलों की जांच सीबीआई ने की है ।’ प्रवक्ता ने कहा कि सलेम के प्रत्यर्पण की कानूनी व्याख्या करते हुए संवैधानिक न्यायालय ने भारत की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी है कि उसके पास ऐसा करने का अधिकार और औचित्य नहीं है ।

भारत ने पुर्तगाल के संवैधानिक न्यायालय में याचिका दायर करते समय भारत के उच्चतम न्यायालय के 17 फरवरी 2011 के उस आदेश की प्रति भी संलग्न की थी जिसके अंतर्गत न्यायालय ने सलेम के खिलाफ ऐसे सभी नये मामलों की सुनवाई पर रोक लगा दी थी जिसमें सलेम को मौत की सजा या 25 वर्ष कारावास की सजा हो सकती थी ।

सलेम के प्रत्यर्पण के समय भारत ने पुर्तगाल को आश्वासन दिया था कि वह उस पर ऐसा कोई आरोप नहीं लगाएगा जिससे उसे मौत की सजा मिले या फिर उसे 25 वर्ष से ज्यादा जेल में रहना पड़े । यह यूरोप के साथ प्रत्यर्पण की महत्वपूर्ण आवश्यकता है । दिल्ली और मुंबई पुलिस ने सलेम पर ऐसे आरोप लगाए हैं जिनमें उसे मौत की सजा हो सकती है। इस कार्रवाई ने सरकार और सीबीआई को असमंजस में डाल दिया।

बाद में पुलिस ने उन आरोपों को वापस लेना चाहा लेकिन अदालत ने इसकी अनुमति नहीं दी और दोनों के बीच कानूनी लड़ाई शुरू हो गई जो सितंबर 2010 में उच्चतम न्यायालय द्वारा सलेम की याचिका खारिज करने के साथ समाप्त हुई।

पुर्तगाल के सुप्रीम कोर्ट ने सलेम के प्रत्यर्पण को रद्द करने के निचली अदालत के फैसले का बरकरार रखा था । निचली अदालत ने भारतीय प्राधिकार द्वारा प्रत्यर्पण के नियमों का उल्लंघन करने के आधार पर यह आदेश दिया था । उसके अनुसार भारत ने सलेम पर नए आरोप लगाए हैं जिससे उसे मौत की सजा हो सकती है । (एजेंसी)

First Published: Tuesday, July 10, 2012, 20:39

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