Last Updated: Tuesday, December 13, 2011, 07:46
नई दिल्ली : लोकपाल मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच सहमति कायम नहीं कर पाने में सरकार की विफलताओं को लेकर लग रहे आरोपों के बीच वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को संसद में कहा कि जब ‘मानसून सत्र में सहमति बन सकती है तो शीतकालीन सत्र में क्यों नहीं।’
प्रणब ने राज्यसभा में आम बजट से जुड़ी अनुपूरक मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि संसद विचार विमर्श करने, नीतियों पर चर्चा करने और फैसला करने की जगह है। संसद को विरोध प्रदर्शन का मंच नहीं बनाया जाना चाहिए।
उन्होंने अन्ना हजारे द्वारा लोकपाल विधेयक को लेकर चलाए जा रहे आंदोलन का नाम लिए बिना कहा कि जब मानसून सत्र में सहमति बन सकती है तो शीतकालीन सत्र में क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार सहमति बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। प्रणब ने कहा कि संसद में सुचारू ढंग से कामकाज चलाना सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का काम है। इसकी लिए सभी की जिम्मेदारी है। हमारी (सरकार) जिम्मेदारी कुछ ज्यादा है।
वित्त मंत्री ने कहा कि जब संसद में ठीकठाक काम चलता है तो उससे पूरे देश और मतदाताओं के मन में भरोसा पैदा होता है। जारी वित्त मंत्री ने कहा कि हम राजनीतिक अस्थिरता नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि सरकार सभी को साथ लेकर चलने को तैयार है। उन्होंने कहा कि हम विपक्ष सहित सभी के साथ सहमति कायम करने के लिए काम करेंगे। उन्होंने 13 दिसंबर 2001 में संसद पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा कि हमले के दिन कांग्रेस अध्यक्ष और तत्कालीन विपक्ष की नेता सोनिया गांधी संसद परिसर में नहीं थी।
सोनिया को जब हमले के बारे में पता चला तो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को तुरंत फोन करके पूछा कि क्या आप सुरक्षित हैं।
प्रणब ने कहा कि सोनिया की इस पहलकदमी से वाजपेयी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अगले दिन इसका जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी बातों से साबित होता है कि हमारा देश और लोकतंत्र पूरी तरह सुरक्षित है। वित्त मंत्री ने विपक्ष को विभिन्न मुद्दों पर खींचतान छोड़ने की नसीहत देते हुए विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए मिलकर काम करने का आमंत्रण दिया।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 13, 2011, 17:16