सार्वजनिक नहीं होंगे नारायणन-वाजपेयी के पत्र

सार्वजनिक नहीं होंगे नारायणन-वाजपेयी के पत्र

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि वर्ष 2002 के गुजरात दंगों पर राष्ट्रपति के. आर. नारायणन तथा प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयपेयी के पत्र सार्वजनिक नहीं होंगे। न्यायालय ने इस सम्बंध में केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति अनिल कुमार ने इस सम्बंध में सीआईसी के आठ अगस्त, 2006 के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की याचिका स्वीकार कर ली। सीआईसी ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह गुजरात दंगों पर राष्ट्रपति नारायणन द्वारा 28 फरवरी, 2002 से 15 मार्च, 2002 के बीच वाजपेयी को भेजे गए पत्र सार्वजनिक करे, क्योंकि सी. रमेश ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत यह जानकारी मांगी है।

न्यायमूर्ति ने कहा कि सीआईसी का आठ अगस्त, 2006 का आदेश खारिज करने योग्य है। सीआईसी याचिकाकर्ता (सरकार) को राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के बीच हुए पत्राचार को सार्वजनिक करने का निर्देश नहीं दे सकती।

बुधवार को ही सेवानिवृत्त होने वाले न्यायमूर्ति कुमार ने कहा कि वादी संख्या 2 (सी. रमेश) को गुजरात दंगों पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच हुए पत्राचार की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, July 11, 2012, 18:21

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